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Toggleछत्रपति शिवाजी महाराज की शौर्य गाथा और संघर्ष
शाहाजी राजे भोसले इनका विवाह बुलढाणा जिले के सिंदखेड राजा सरदार लखुजी जाधव इनकी सुपुत्री जीजाबाई से दिसंबर 1605 में हुआ। 19 फरवरी 1630 को महाराष्ट्र के शिवनेरी किले पर शिवाजी महाराज का जन्म हुआ। बाल शिवाजी और जीजाबाई बेंगलुरु में गंतव्य स्थान थे तभी से शाहाजी राजे भोसले ने शिवाजी महाराज के बाल शिक्षण की व्यवस्था की थी। बाल शिवाजी को रामायण और महाभारत का उचित परिचय हुआ और मराठी, संस्कृत और फारसी भाषाओं का भी ज्ञान दिया गया।

राजकीय शिक्षण
पुणे जहांगीर में शिवाजी महाराज को राज्य प्रशासन का पहिला पाठ राजमाता जिजाबाई द्वारा दिया गया। जिजाबाई मे राज्य प्रशासन का उचित कौशल्य था। और यह कौशल्य जीजाबाई ने अपने पिता लखुजी जाधव से सीखा था। बचपन में शिवाजी महाराज को जीजाबाई ने धर्म निष्ठा, स्वतंत्र, चरित्र निष्ठा, सत्यप्रियता, स्वाभिमान, धैर्य और निर्भयता के संस्कार दिए। शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के बाद 17 जून 1664 को राजमाता जीजाबाई का निधन हो गया।
स्वराज्य की स्थापना
विदेशी सत्ता को खत्म करके स्वराज्य की स्थापना करना शहाजी राजे भोसले का उद्देश्य था। इसलिए उन्हें स्वराज संकल्पक भी कहा जाता है। परंतु यहां आसान नहीं था। सह्याद्री के डोंगर प्रदेश में स्थित 12 मावळ ( अंदर मावळ, नाने मावळ, कोरबारसे मावळ, पवन मावळ, पौड खोरे, मुसे खोरे, मुठे खोरे, कानद खोरे, गुंजन मावळ, वेळवंड खोरे, रोहीड खोरे और हिरडस मावळ इन सभी की जहांगीर शिवाजी महाराज के पास थी परंतु किले आदिलशाह के पास थे। और इसी लिए शिवाजी महाराज ने अपनी सेना तैयार की। संभाजी कावजी, मेसाजी कंक, बाजी पासलकर, तानाजी मालुसरे, बाजी प्रभु देशपांडे, जिवा महाल, मदारी मेहतर, नेतोजी पालकर, बहिर्जी नाईक और मुरारबाजी देशपांडे यह शिवाजी के पक्के सरकारी थे। शिवाजी महाराज ने रोहिडेश्वर के मंदिर में स्वराज्य स्थापना की शपथ ली, और वर्ष 1646 में स्वराज का पहला किला तोरना किला जीतकर आगे राजगढ़, कोंडाना, पुरंदर जैसे महत्वपूर्ण किले अपने अधिपत्य में ले लिए। और राजगढ़ किले को स्वराज की पहली राजधानी घोषित किया।
आदिलशाही के साथ संघर्ष
अफजल खान का पराभव
वर्ष 1656 में जावळी पर आक्रमण करके आदिलशाही सरदार चंद्रराव मोरे इनका प्रभाव करके जावळी को अपने कब्जे में ले लिया। शिवाजी के इस विजय से आदिलशाह को क्रोध आ गया और उन्होंने शिवाजी महाराज का बंदोबस्त करने के लिए अफजल खान को भेजा अफजल खान के इतने बड़े सैन्य को खुले मैदान में हराना मुश्किल था इसलिए शिवाजी महाराज ने 10 नवंबर 1959 को प्रतापगढ़ के पास भेट करणे का सुझाव दिया, अफजल खान के दगा देते ही महाराज ने उसे बडी ही चतुराई से मार गिराया।
सिद्धी जोहर की सवारी
अफजल खान को मारने के बाद शिवाजी महाराज ने बसंतगढ़, पन्हाळा और खेळना किले जीत लिया, और खेळना किले को विशालगढ़ नाम दिया।
अफजल खान के वध के बाद आदिलशाह क्रोधित हो गया, और शिवाजी महाराज का बंदोबस्त करने के लिए वर्ष 1660 में सिद्धि जोहर को भेज दिया। सिद्धी जोहर ने विशाल फौज लेकर पन्हाळा किले को घेर लिया। इस परिस्थिति में शिवा काशिद जो की कद काठी से शिवाजी महाराज के समान ही दिखता था। उसने स्वराज के लिए अपना बलिदान दिया और शिवाजी महाराज रात्रि का समय देखकर विशालगढ़ के तरफ रवाना हो गए। दुश्मन को इसका पता चलते ही उन्होंने शिवाजी महाराज के पीछे दौड़ लगाई परंतु बाजी प्रभु देशपांडे ने अपने कुछ निवडक सैनिकों के साथ पवनखिंड में सिद्धी जोहर के सैन्य को रोक के रखा। शिवाजी महाराज विशालगढ़ पर पहुंचने का संदेश मिलते ही बाजी प्रभु ने अपने प्राण त्याग दिए
मुघलो के साथ संघर्ष
शायिस्ताखान की उंगलियां काटी
मुगल सम्राट औरंगजेब ने शिवाजी महाराज का बंदोबस्त करने के लिए शायिस्ताखान को भेजा। वह पुणे के लाल महाल में रुका था। शिवाजी महाराज ने इसका बंदोबस्त करने के लिए अपने कुछ सैनिकों के साथ दि. 5 अप्रैल 1663 को रमजान के रात्रि मे शायिस्ताखान पर वार किया परंतु इसमें उसके हाथ की उंगलियां ही कटी। इससे शायिस्ताखान भारी बेइज्जती हुई और औरंगजेब बादशाह ने उसे बंगाल में भेज दिया।
सूरत की सवारी
शायिस्ताखान ने 3 वर्षों तक स्वराज का बहुत नुकसान किया उसकी भरपाई करने के लिए जनवरी 1664 में शिवाजी महाराज ने सूरत पर सवारी की। उसे समय महाराज ने सामान्य जनता और धार्मिक स्थलों का नुकसान नहीं किया।वहां से अपार संपत्ति लुटकर शिवाजी महाराज अपने प्रदेश वापस आ गए।
जयसिंह की सवारी
शिवाजी महाराज के बढ़ते कारनामों की वजह से औरंगजेब बादशाह ने मिर्जा राजा जयसिंह और दिलेर खान को प्रचंड फौजी के साथ शिवाजी महाराज का बंदोबस्त करने के लिए दक्षिण में भेजा। शिवाजी महाराज ने युद्ध में होने वाले जीवित हानी को टालने के लिए जयसिंह के साथ वर्ष 1665 में पुरंदर का करार किया। इस करार के अनुसार मुगलों को 23 केले और चार लक्ष्य होन का प्रदेश देने का शिवाजी महाराज ने मान्य किया।
आगरा भेट और सूटका
12 मई 1666 को औरंगजेब बादशाह के जन्मदिन के अवसर पर पुरंदर के करार के बाद मिर्झाराजा जय सिंह के प्रस्ताव के अनुसार शिवाजी महाराज पुत्र संभाजी के साथ मुगल सम्राट औरंगजेब से मिलने के लिए आग्रा पहुंचे। परंतु वहां पर सम्राट औरंगजेब द्वारा उन्हें धोखे से कैद कर लिया गया। 19 अगस्त 1667 को छत्रपति शिवाजी महाराज पुत्र संभाजी के साथ आगरा से भेष बदलकर बाहर आए।
राज्य अभिषेक
शिवाजी महाराज ने अत्यंत प्रतिकूल परिस्थिति में स्वराज की स्थापना की थी। अपनी स्वराज को धर्म शास्त्रीय, नैतिक और कायदेशीर स्थापना प्राप्त होने के लिए और समाज मान्यता मिलने के लिए शिवाजी महाराज ने 6 जून 1674 को विद्वान पंडित गागाभट्ट के हाथों रायगढ़ किले पर खुद का राज्यभिषेक करवाया, और इसी दौरान इन्होंने छत्रपति पदवी धारण की। शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के दौरान अत्यंत किमती और भव्य सिंहासन बनाया गया जीसके आठ दिशाओं में आठ रत्नजडित स्तंभ थे और 32 मन सोने का सिंहासन मौल्यवान रत्न से सजाया गया था।
छत्रपती शिवाजी महाराज ने राज्याभिषेक के बाद खुद की शिवराई और होन नाम के सिक्के तैयार किए और स्वराज्य से सुराज्य की तरफ अपने कदम उठाए।
राज्याभिषेक के कुछ ही दिनों के पश्चात 17 जून 1674 को राजमाता जिजाबाई के निधन के बाद शिवाजी महाराज ने 24 सितंबर 1674 को निश्चलपूरी गोसावी इनके मार्गदर्शन से तांत्रिक पद्धति से राज्याभिषेक करवाया।
शिवाजी महाराज का निधन
राज्याभिषेक के बाद शिवाजी महाराज ने दक्षिण की मोहीम छाथ मे ली दक्षिण में उनका सौतेला भाई व्यंकोजी तमिलनाडु के तंजावर में राज कर रहे थे। उनके साथ शिवाजी महाराजांनी सुलह कर के जिंजी का किल्ला स्वराज्य मे जोड लिया।
ऐसे महान कार्य करने के बाद स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज का 3 अप्रैल 1680 को रायगढ़ किले पर निधन हुआ।
शिवाजी महाराज सामाजिक सुधार, युद्ध कौशल, कला और साहित्य
शिवाजी महाराज के अष्टप्रधान मंडळ
क्रम | प्रधानों के नाम | पद | कार्य |
1 | मोरो त्रिंबक पिंगळे | प्रधान | राज्यकारभार चलाना और जीते हुए प्रदेश की व्यवस्था देखना |
2 | रामचंद्र नीलकंठ मुजुमदार | अमात्य | राज्य का जमाखर्च देखना |
3 | अण्णाजी दत्तो | सचिव | सरकारी आज्ञापत्र तयार करणा |
4 | दत्ताजी त्रिंबक वाकणीस | मंत्री | पत्रव्यवहार संभालना |
5 | हंबीरराव मोहिते | सेनापती | सेना की व्यवस्था रखना और राज्य की रक्षा करना |
6 | रामचंद्र त्रिंबक डबीर | सुमंत | परराज्य से संबंध रखना |
7 | निराजी रावजी | न्यायाधीश | न्यायदान करना |
8 | मोरेश्वर पंडितराव | पंडित | धार्मिक व्यवहार देखना |
वर्तमान बदलाव
महाराष्ट्र की राजधानी और भारत की आर्थिक राजधानी नाम से जाना जाने वाले मुंबई शहर में स्थित विक्टोरिया टर्मिनस (VT) का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) कर दिया गया है, जिसे वर्ष 2004 में यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल कर दिया गया है। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस में भारतीय मध्य रेलवे का मुख्यालय है, जो कि भारत के प्रमुख व्यस्त स्टेशनों में से एक है।
शिवाजी महाराज संबंधित प्रश्न
1 ) शिवाजी महाराज का जन्म कब और कहा हुआ था ?
उत्तर : शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किल्ले पर हुआ था।
2) शिवाजी महाराजांनी पहिला किल्ला कोणसा और कब जिता था ?
उत्तर : वर्ष 1646 में स्वराज का पहला तोरना किला जिता
3 ) शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक कब और किसके हाथों हुआ था ?
उत्तर : 6 जून 1664 को विद्वान पंडित गागाभट्ट के हाथों रायगढ़ किले पर
4 ) स्वराज की पहली राजधानी क्या थी ?
उत्तर : राजगढ़ किला स्वराज्य की पहली राजधानी थी
5 ) छत्रपति शिवाजी महाराज का निधन कब और कहां हुआ था ?
उत्तर : 3 अप्रैल 1680 को रायगढ़ किले पर निधन हुआ