Ghat Sthapana in 2024 | 2024 में घट स्थापना कैसे करें?

Ghat Sthapana in 2024 | 2024 में घट स्थापना कैसे करें?

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Ghat Sthapana in 2024 | 2024 में घट स्थापना कैसे करें?

नवरात्रि का प्रथम दिन और घट स्थापना का महत्व

नवरात्रि भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसमें माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस पर्व का पहला दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, जिसे घट स्थापना के नाम से जाना जाता है। घट स्थापना एक धार्मिक विधि है, जो नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक होती है। यह दिन हमें सकारात्मक ऊर्जा और नई शुरुआत का संदेश देता है। आइए जानते हैं नवरात्रि के पहले दिन और घट स्थापना से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।

Ghat Sthapana in 2024 | 2024 में घट स्थापना कैसे करें?

नवरात्रि का पहला दिन और उसका महत्व

नवरात्रि के पहले दिन को प्रतिपदा तिथि कहा जाता है। यह दिन शक्ति की उपासना का आरंभ माना जाता है। इस दिन भक्त माँ दुर्गा का आह्वान करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। माता दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा इस दिन की जाती है, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री और देवाधिदेव महादेव की पत्नी हैं।

घट स्थापना के शुभ मुहूर्त:

घट स्थापना के शुभ मुहूर्तसमय
प्रातःकाल शुभ मुहूर्तसुबह 06:15 से 07:22 बजे तक
अभिजीत मुहूर्तसुबह 11:46 से 12:33 बजे तक
चौघड़िया मुहूर्त (वैकल्पिक)
सुबह 10:41 से 12:10 बजे तक
दोपहर 12:10 से 01:38 बजे तक
शाम 04:36 से 06:04 बजे तक
शाम 06:04 से 07:36 बजे तक

माँ शैलपुत्री की पूजा

माँ शैलपुत्री का वाहन वृषभ (बैल) है, और उनके हाथों में त्रिशूल व कमल का पुष्प होता है। यह देवी स्थिरता और दृढ़ता की प्रतीक हैं। नवरात्रि के पहले दिन, माँ शैलपुत्री की आराधना से जीवन में स्थायित्व और मानसिक शांति प्राप्त होती है। भक्त इस दिन विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और माँ के चरणों में भक्ति-भाव से समर्पित होते हैं।

घट स्थापना: धार्मिक विधि और महत्व

घट स्थापना नवरात्रि का सबसे प्रमुख अनुष्ठान होता है। इसे शुभ मुहूर्त में ही किया जाता है, क्योंकि इसका सीधा संबंध देवी की कृपा और आशीर्वाद से होता है। घट स्थापना के बिना नवरात्रि पूजा अधूरी मानी जाती है। आइए जानते हैं घट स्थापना की विधि और इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम।

घट स्थापना की विधि

  1. शुभ मुहूर्त: घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। प्रतिपदा तिथि के दौरान ही घट स्थापना की जाती है, और इसे ब्रह्म मुहूर्त में करना सबसे उत्तम माना जाता है।
  2. साफ-सुथरी जगह: घट स्थापना के लिए एक साफ और पवित्र स्थान का चयन किया जाता है। घर के पूजा स्थल में यह अनुष्ठान संपन्न किया जाता है। एक स्वच्छ कपड़े से जमीन को ढककर, उस पर चावल का एक छोटा सा ढेर बनाते हैं।
  3. कलश स्थापना: इस चावल के ढेर पर एक तांबे या पीतल के कलश को स्थापित किया जाता है। कलश में गंगाजल, सुपारी, सिक्के, चावल, हल्दी, कुंकुम और दूर्वा रखे जाते हैं। इसके बाद, कलश के मुख पर पांच आम या अशोक के पत्ते रखते हैं और एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर कलश के ऊपर रखते हैं।
  4. मिट्टी और जौ बोना: घट स्थापना के समय एक साफ मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बोए जाते हैं। जौ को उगाने की यह परंपरा नए जीवन, नई ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।
  5. माँ दुर्गा का आह्वान: घट स्थापना के बाद माँ दुर्गा का आह्वान मंत्रों के द्वारा किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती, श्री दुर्गा चालीसा और देवी स्तुति का पाठ किया जाता है।

घट स्थापना के नियम और सावधानियां

  • घट स्थापना को सदैव शुभ मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए।
  • कलश में गंगाजल का प्रयोग किया जाता है, और अगर गंगाजल न हो, तो साफ पानी का उपयोग किया जा सकता है।
  • कलश स्थापना के समय भक्तों को मन, वचन और कर्म से पवित्र होना चाहिए।
  • घट स्थापना के बाद रोजाना कलश की पूजा करनी चाहिए, और नौ दिनों तक माँ दुर्गा की आराधना करनी चाहिए।

नवरात्रि के प्रथम दिन के व्रत का महत्व

नवरात्रि के पहले दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। यह व्रत शारीरिक और मानसिक शुद्धि के साथ-साथ आत्मा की शांति प्रदान करता है। नवरात्रि के दौरान व्रत करने से तन-मन पवित्र होता है और भक्त माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करते हैं। व्रत के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए और तामसिक पदार्थों से बचना चाहिए।

व्रत में क्या खा सकते हैं और क्या नहीं खाना चाहिए

  • व्रत के दौरान फलाहार, साबूदाना, कुट्टू के आटे की पूड़ी, सिंघाड़े के आटे का हलवा और मूंगफली खाई जा सकती है।
  • प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा और अनाज का सेवन वर्जित है।
  • व्रत के दौरान जल का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए ताकि शरीर में ऊर्जा बनी रहे।
  • एक ही बार भोजन करें और ध्यान रखें कि भोजन पूरी तरह से सात्विक हो।

घट स्थापना के शुभ मुहूर्त

3 अक्टूबर, गुरुवार को घट स्थापना के 6 विशेष शुभ मुहूर्त हैं। इनमें से किसी भी मुहूर्त में आप घट स्थापना कर सकते हैं। ये हैं घट स्थापना के प्रमुख शुभ मुहूर्त:

  • प्रातःकाल शुभ मुहूर्त: सुबह 06:15 से 07:22 बजे तक।
  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:46 से दोपहर 12:33 बजे तक।

चौघड़िया मुहूर्त में घट स्थापना भी कर सकते हैं

यदि इन शुभ मुहूर्तों में घट स्थापना नहीं कर पाएं, तो आप चौघड़िया मुहूर्त में भी घट स्थापना कर सकते हैं। चौघड़िया के अनुसार घट स्थापना के अन्य मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • सुबह 10:41 से दोपहर 12:10 बजे तक।
  • दोपहर 12:10 से 01:38 बजे तक।
  • शाम 04:36 से 06:04 बजे तक।
  • शाम 06:04 से 07:36 बजे तक।

घट स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री

घट स्थापना के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • चौड़े मुंह वाला मिट्टी का मटका या तांबे का कलश
  • गंगाजल (यदि उपलब्ध हो), अन्यथा किसी पवित्र नदी का जल
  • आम या अशोक के पत्ते
  • सुपारी, अक्षत, जटा वाला नारियल
  • लाल या सफेद वस्त्र, फूल, सिक्का, साबूत हल्दी, दूर्वा

घट स्थापना की विधि

  1. जिस स्थान पर आप घट स्थापना करने जा रहे हैं, उसे अच्छी तरह से साफ कर लें। वहाँ लकड़ी का पटिया रखें और उस पर लाल या सफेद वस्त्र बिछाएं।
  2. पटिया पर मिट्टी की मटकी या तांबे का कलश रखें, इस बात का ध्यान रखें कि वह हिले-डुले नहीं।
  3. कलश के अंदर गंगाजल डालें। यदि गंगाजल उपलब्ध न हो, तो किसी अन्य पवित्र नदी का जल लें। उसमें चावल, दूर्वा, कुमकुम, साबुत हल्दी, पूजा की सुपारी डालें।
  4. कलश के ऊपर आम के पांच पत्ते रखें और नारियल से ढक दें। कलश पर स्वस्तिक का चिह्न बनाएं और मौली (पूजा का धागा) बांधें। नारियल पर तिलक लगाएं और निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:
    • “ओम धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा।”
    • “दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि।।”
  5. कलश के सामने घी का अखंड दीपक जलाएं और सुनिश्चित करें कि यह दीपक पूरे 9 दिनों तक जलता रहे।
  6. घट स्थापना के बाद मां दुर्गा की आरती करें और यदि संभव हो तो दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का जाप भी करें।

इन बातों का विशेष ध्यान रखें

  1. घट स्थापना वाले स्थान की रोज साफ-सफाई करें। यह स्थान पवित्र होना चाहिए।
  2. उस कमरे में कोई ऐसी वस्तु न रखें जो पवित्रता भंग करे, जैसे कि चमड़े का सामान।
  3. जूते-चप्पल पहनकर घट स्थापना स्थल पर न जाएं। घट को एक ही स्थान पर 9 दिनों तक रखें और इसे हिलाएं नहीं।
  4. जब तक घट घर में स्थापित है, तब तक नशे की चीजों और मांसाहार का सेवन न करें।

नवरात्रि में घट स्थापना के लाभ

घट स्थापना का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्व है। यह अनुष्ठान हमारे जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और शांति का संचार करता है। घट स्थापना से देवी की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। यह अनुष्ठान न केवल हमारी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति करता है, बल्कि आत्मिक शांति भी प्रदान करता है।

घट स्थापना से प्राप्त होने वाले लाभ

  1. सकारात्मक ऊर्जा: घट स्थापना के साथ घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह नकारात्मकता को दूर करता है और समृद्धि लाता है।
  2. सुख-शांति: इस अनुष्ठान से घर में सुख-शांति और हर्ष-उल्लास बना रहता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: घट स्थापना और माँ दुर्गा की आराधना से भक्तों को आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: घट स्थापना और नवरात्रि के व्रत से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। व्रत के दौरान हल्का और सात्विक भोजन करने से शरीर शुद्ध होता है।

समापन

नवरात्रि का पहला दिन और घट स्थापना का अनुष्ठान भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि भक्तों के जीवन में शांति, समृद्धि और सुख-शांति का भी संचार करता है। इस दिन माँ दुर्गा की आराधना और व्रत के माध्यम से भक्त माँ की कृपा प्राप्त करते हैं और जीवन में हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं।

घट स्थापना से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: घट स्थापना का सही समय क्या है?
उत्तर: घट स्थापना का सही समय नवरात्रि के पहले दिन होता है। इसे शुभ मुहूर्त में करना चाहिए, जो आमतौर पर प्रातः काल या अभिजीत मुहूर्त में होता है। यदि आप शुभ मुहूर्त में नहीं कर सकते, तो चौघड़िया मुहूर्त में भी इसे किया जा सकता है।

प्रश्न 2: घट स्थापना के लिए कौन-कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है?
उत्तर: घट स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री में एक चौड़ा मुंह वाला कलश (मिट्टी या तांबे का), गंगाजल, आम या अशोक के पत्ते, नारियल, सुपारी, अक्षत (चावल), हल्दी, दूर्वा, और पूजा के फूल शामिल होते हैं। इसके अलावा, आप स्वस्तिक का चिह्न बनाने के लिए कुमकुम और मौली भी उपयोग कर सकते हैं।

प्रश्न 3: घट स्थापना के बाद क्या करना चाहिए?
उत्तर: घट स्थापना के बाद आपको रोजाना कलश की पूजा करनी चाहिए। आप अखंड ज्योति जलाकर देवी दुर्गा का ध्यान करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। पूजा में गंगाजल छिड़कना और मां दुर्गा की आरती करना भी आवश्यक होता है।

प्रश्न 4: क्या घट स्थापना के स्थान पर विशेष ध्यान रखना जरूरी है?
उत्तर: जी हां, घट स्थापना का स्थान बहुत पवित्र होना चाहिए। इस स्थान पर रोज साफ-सफाई होनी चाहिए, और किसी भी अपवित्र वस्तु जैसे चमड़े के सामान या जूते-चप्पल को वहां नहीं रखना चाहिए। घट स्थापित होने के बाद इस स्थान को 9 दिनों तक सुरक्षित और पवित्र रखना चाहिए।

प्रश्न 5: क्या घट स्थापना के बाद घर में मांसाहार या नशा कर सकते हैं?
उत्तर: नवरात्रि के दौरान, खासकर जब घर में घट स्थापना की गई हो, मांसाहार और नशा करना वर्जित माना जाता है। यह समय पवित्रता और संयम का होता है, इसलिए इन चीजों से दूर रहना चाहिए।

प्रश्न 6: क्या घट स्थापना के समय किसी विशेष रंग के वस्त्र पहनने चाहिए?
उत्तर: घट स्थापना के समय सफेद, लाल या पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। ये रंग देवी मां को प्रसन्न करने वाले होते हैं और धार्मिक दृष्टिकोण से भी इनका विशेष महत्व होता है।

प्रश्न 7: क्या घट स्थापना के बाद कलश को हिलाया जा सकता है?
उत्तर: घट स्थापना के बाद कलश को 9 दिनों तक एक ही स्थान पर स्थिर रखना चाहिए। इसे हिलाना या स्थान परिवर्तन करना शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए कलश को ऐसी जगह रखें जहां इसे बिना किसी परेशानी के रखा जा सके।


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