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ToggleNagpurs Most Dangerous Underpass! | नागपुर का सबसे खतरनाक अंडरपास!
नागपुर के मनीष नगर क्षेत्र में बना अंडरपास (रेलवे अंडर ब्रिज – RUB) स्थानीय नागरिकों के लिए एक सुविधा के बजाय रोज़ का संकट बन चुका है। इस अंडरपास को जनता की आवाज उठाने, सरकारी निकायों की लापरवाही और घटिया निर्माण गुणवत्ता को उजागर करने के मामले में पूरे शहर में मिसाल माना जा सकता है।

1. पानी भरना एवं जलनिकासी की समस्या
- मनीष नगर अंडरपास में बारिश हो या ना हो, अक्सर पानी भर जाता है। पिछले सप्ताह में, बिना बारिश के ही, अंडरपास में गंदा पानी और कीचड़ जमा हो गया, जिससे वाहन चालकों के लिए पार करना मुश्किल और खतरनाक हो गया। यहाँ की ड्रेनेज व्यवस्था पूरी तरह फेल है—गलत गार्डियन, जाम नाली, और सड़क की ढाल में खामी के चलते पानी आसानी से नहीं निकलता.
- कई बार तो यहाँ ‘स्विमिंग पूल’ जैसा दृश्य बन जाता है, जिससे राहगीरों को मजबूरी में लंबे रास्ते अपनाने पड़ते हैं.
2. सड़क की गुणवत्ता और संरचनात्मक खामियां
- यहाँ सड़क की सतह हमेशा असमान, कीचड़ से भरी और कई जगहों पर गड्डों में तब्दील हो गई है। और तो और, पिछले कुछ महीनों में, सड़क पर लोहे की रॉड बाहर निकल आई हैं जिससे हादसे की स्थितियाँ निर्मित होती रहती हैं.
- इस रोड पर वाहनों के फिसलने, बाइकर्स के गिरने की घटनाएँ आम हैं.
3. रोशनी और सुरक्षा की स्थिति
- अंडरपास में लगभग सभी लाइट्स खराब हैं या काम नहीं करती, जिससे खासकर रात में चलना बेहद असुरक्षित हो जाता है.
- यहाँ दिन में भी अंधेरा छा जाता है, जिससे गिरने और टक्कर का खतरा बढ़ जाता है.
4. प्रशासनिक लापरवाही और जिम्मेदारी का टालमटोल
- अंडरपास की देखरेख किसकी—महा मेट्रो या नगर निगम—इस बात को लेकर विवाद है। बार-बार जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डाली जाती रही है, जिससे समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पा रहा है.
- नगर निगम ने कुछ मरम्मत और सफाई कार्य किए हैं, मगर बहुत सी बार काम अधूरा ही रहा. पानी निकालने के लिए पंप लगाए जरूर जाते हैं, लेकिन सही ढंग से और समय पर रखरखाव नहीं होता.
5. ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन और दुर्घटनाएँ
- अंडरपास को एक-तरफा चालू किया गया था, मगर अक्सर यहाँ दो-तरफा ट्रैफिक देखा जाता है, जिससे वाहनों की टक्कर और एक्सीडेंट बढ़ जाते हैं.
- नागपुर के नागरिकों ने कई बार इस समस्या को सोशल मीडिया, प्रशासन और सार्वजनिक मंचों पर उठाया है, मगर अब तक पुख्ता सुधार नहीं किया गया.
6. जनता की मांग और आगे की राह
- क्षेत्रवासियों के अनुसार, अंडरपास की मरम्मत, बेहतरीन ड्रेनेज व्यवस्था, सड़क की गुणवत्ता में सुधार, और लाईट्स की पूर्ण व्यवस्था के बिना यहाँ सुरक्षित यातायात संभव नहीं है।
- कई बार मंत्री स्तर पर भी यह समस्या पहुंची है, लेकिन जमीनी स्तर पर सुधार की दर बेहद धीमी है.
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
Q1: मनीष नगर अंडरपास में हमेशा पानी क्यों भरा रहता है?
यहाँ ड्रेनेज सिस्टम कमजोर है और निर्माण में कई तकनीकी खामियाँ हैं। बारिश हो या न हो, जाम नालियाँ और सड़क की गलत ढाल के कारण पानी और कीचड़ फंस जाता है, जिससे रोज़ाना खतरा बना रहता है.
Q2: क्या यह अंडरपास वाहन और पैदल यात्रियों के लिए सुरक्षित है?
नहीं, यहाँ बार-बार जलभराव, गड्ढे, कीचड़ और सड़कों से निकली लोहे की रॉड के कारण बहुत असुरक्षित स्थिति बन गई है। रोज़ाना हादसे और फिसलने की घटनाएं आती हैं, खासकर दोपहिया वाहन चालकों के लिए.
Q3: अंडरपास की देखरेख की जिम्मेदारी किसकी है?
नागपुर नगर निगम और महा मेट्रो दोनों के बीच जिम्मेदारी का विवाद है। स्पष्ट जिम्मेदारी न होने के चलते मरम्मत और सफाई लटकती रहती है.
Q4: क्या हाल ही में कोई सुधार किए गए हैं?
कुछ बार पानी निकालने के लिए पंप लगवाए गए या सफाई की गई, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं मिल पाया। सड़क की गुणवत्ता और जलनिकासी की समस्या जस की तस है.
Q5: स्थानीय नागरिक इन समस्याओं को सुलझाने के लिए क्या कर सकते हैं?
स्थानीय लोग प्रशासन को शिकायत भेज सकते हैं, सोशल मीडिया पर फोटो/वीडियो शेयर कर सकते हैं, और जल्द से जल्द मरम्मत, बेहतर ड्रेनेज व रोशनी की माँग उठा सकते हैं.
Q6: इसे “मौत का कुआं” क्यों कहा जाता है?
लगातार हादसे, जलभराव, घटिया रोशनी और प्रशासनिक लापरवाही की वजह से यह जगह शहर के लोगों के लिए खतरे का केंद्र बन गई है.
Q7: क्या यहाँ दो-तरफा ट्रैफिक चलता है?
आधिकारिक रूप से यहाँ एक तरफा ट्रैफिक होना चाहिए, लेकिन रोज़ दो-तरफा ट्रैफिक के मामलों और ट्रैफिक उल्लंघन से और अधिक खतरे पैदा हो रहे हैं.
निष्कर्ष
मनीष नगर अंडरपास नागपुर के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर की असफलता का प्रतीक है—एक ऐसे प्रोजेक्ट पर करोड़ों खर्च, पर नागरिकों को रोज़ाना जोखिम, असुविधा और गुस्सा झेलना पड़ता है। यदि जिम्मेदार निकाय तुरंत कार्यवाही नहीं करते, तो यह संकट और गंभीर रूप ले सकता है।
स्रोत: स्थानीय समाचार, नागरिकों की प्रत्यक्ष रिपोर्ट्स, Times of India, The News Dirt, सोशल मीडिया अवलोकन, अपडेटेड फील्ड रिपोर्ट (नवम्बर 2025)।
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