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परिचय
डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर को भारत के संविधान निर्माता, समाज सुधारक, और दलितों के मसीहा के रूप में सम्पूर्ण देश सम्मान देता है। 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में जन्मे अंबेडकर जी ने अपने पूरे जीवन में छुआछूत, भेदभाव और सामाजिक अन्याय के विरुद्ध संघर्ष किया। उनका जीवन साहस, दृढ़ता और नयी सोच की मिसाल है। उनका योगदान आज भी करोड़ों लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

छवि स्रोत: Wikimedia Commons / CC BY-SA 3.0
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. अंबेडकर का परिवार मूलतः महाराष्ट्र से था और उनके पिता सेना में सूबेदार थे। बचपन से ही भीमराव को जातिवाद और छुआछूत के कारण अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कई बार उन्हें स्कूल में पानी पीने या बैठने की भी अनुमति नहीं दी जाती थी, फिर भी उन्होंने पढ़ाई के प्रति अपना समर्पण नहीं खोया।
शिक्षा के लिए उनका जज़्बा बहुत ऊँचा था। उन्होंने बंबई विश्वविद्यालय से स्नातक (1912) किया और फिर अमेरिका चले गए। वहां उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम. ए. और पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से डी.एससी. और बार-एट-लॉ की उपाधियाँ हासिल कीं। वे पहले भारतीय थे जिन्होंने विदेशों में इतनी ऊँची शिक्षा प्राप्त की।
संघर्ष का समय और सामाजिक आंदोलन
शिक्षा के बाद भी उन्हें सामाजिक भेदभाव और जातिवाद से लड़ना पड़ा। उन्होंने अपने जीवन को केवल अपनी प्रगति तक सीमित नहीं रखा, बल्कि दलित समुदाय की बेहतरी के लिए संघर्ष शुरू किया।
1924 में डॉ. अंबेडकर ने ‘बहिष्कृत हितकारी सभा’ की स्थापना की, जिससे अछूत जातियों को शिक्षा और अधिकारों के लिए जागरूक किया जा सके। 1927 में महाड सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जहाँ अंबेडकर जी ने हजारों लोगों के साथ चवदार तालाब का पानी पीकर छुआछूत का विरोध किया। यह आंदोलन भारत के सामाजिक परिवर्तन में एक मील का पत्थर साबित हुआ। उनका संदेश था, “शिक्षित बनो, संगठित हो, संघर्ष करो।”
राजनीतिक जीवन और संविधान निर्माण
डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष नियुक्त हुए। उन्होंने संविधान में सभी नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता, और न्याय का अधिकार दिलवाया। उन्होंने भारत को एक लोकतांत्रिक और समावेशी राष्ट्र बना दिया। अंबेडकर जी भारत के पहले कानून मंत्री भी बने। उन्होंने Hindu Code Bill पेश किया, जिससे महिलाओं को सम्पत्ति, विवाह, और तलाक समेत अनेक अधिकार मिले।
महिला अधिकार व शिक्षा सुधार
डॉ. अंबेडकर का मानना था कि “शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है।” उन्होंने महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए कई अध्यादेश लाए। उन्होंने दलित और वंचित समाज को शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक किया। उनका यह प्रसिद्ध नारा — “पढ़ो, पढ़ाओ, आगे बढ़ो” — आज भी समाज के लिए प्रेरणा है।
बौद्ध धर्म ग्रहण और अंतिम यात्रा
डॉ. अंबेडकर के जीवन में आध्यात्मिकता का भी महत्वपूर्ण स्थान रहा। जातिवाद से त्रस्त होकर, उन्होंने 1956 में हजारों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। उनका मानना था कि बौद्ध धर्म मानवता, समानता, और करुणा का सच्चा मार्ग है।
6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में उनका निधन हो गया।
उनकी स्मृति में आज भारत में ‘अंबेडकर जयंती’ बड़े सम्मान के साथ मनाई जाती है।
डॉ. अंबेडकर की प्रमुख पुस्तकें
- Annihilation of Caste (जाति का विनाश)
- The Problem of the Rupee: Its Origin and Its Solution
- Buddha and His Dhamma
- Thoughts on Linguistic States
इन पुस्तकों के माध्यम से उन्होंने भारतीय समाज को नई दिशा दी।
अन्य योगदान
डॉ. अंबेडकर ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गठन में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने श्रमिकों, महिलाओं, और वंचित समुदाय के सामाजिक सबलीकरण पर विशेष ध्यान दिया। सामाजिक न्याय के लिए उनके अभियान आज भी मार्गदर्शक हैं।
प्रेरक विचार और संदेश
- “अगर आप अपने जीवन के लिए योजना नहीं बनाएंगे, तो संभवतः आपकी जिंदगी किसी और की योजना का हिस्सा बन जाएगी।”
- “शिक्षा वह शस्त्र है जिससे समाज बदला जा सकता है।”
- “जातिवाद का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।”
उनके विचार आज भी हर युवक और युवती को साहस, संघर्ष, और नए भविष्य की राह दिखाते हैं।
डॉ. अंबेडकर के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य
- डॉ. अंबेडकर ने कुल 32 डिग्रियाँ प्राप्त की थीं — ये विश्व रिकॉर्ड है।
- उन्होंने पहली बार बंबई में बड़ौदा राज्य के महाराजा के सचिव के रूप में सेवा शुरू की थी।
- अंबेडकर जी को भारत रत्न से मरणोपरांत सम्मानित किया गया (1990)।
- उनका सबसे प्रसिद्ध नारा “Educate, Agitate, Organize” है।
डॉ. अंबेडकर के प्रेरणादायक उद्धरण
- “मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता, और भाईचारा सिखाए।”
- “मनुष्य महान बनता है अपने कार्यों से, जन्म से नहीं।”
- “जातिवाद सामाजिक बुराई है, इसे मिटाना बेहद ज़रूरी है।”
डॉ. अंबेडकर की जयंती और समाज पर प्रभाव
- हर साल 14 अप्रैल को ‘अंबेडकर जयंती’ बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है।
- सरकारी व गैर-सरकारी संगठनों द्वारा सेमिनार, संगोष्ठियाँ, और रंगारंग कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
- अंबेडकर जी के विचार संविधान और भारतीय लोकतंत्र की आत्मा बन चुके हैं।
- दलित अधिकार, शिक्षा, महिलाएँ, और मजदूरों की बेहतरी में उनके योगदान को पूरे विश्व में सम्मानित किया गया है।
FAQs Section
- Q: डॉ. अंबेडकर का जन्म कब, कहाँ हुआ था?
A: 14 अप्रैल 1891, महू (मध्यप्रदेश) में। - Q: डॉ. अंबेडकर की मुख्य उपलब्धियाँ क्या थीं?
A: भारतीय संविधान निर्माण, दलित उत्थान, महिला अधिकार, शिक्षा में योगदान। - Q: डॉ. अंबेडकर की प्रसिद्ध पुस्तकें कौन सी हैं?
A: जाति का विनाश (Annihilation of Caste), बुद्ध और उनका धम्मा (Buddha and His Dhamma)। - Q: डॉ. अंबेडकर को भारत रत्न कब मिला?
A: सन 1990 में मरणोपरांत। - Q: उनका सबसे प्रसिद्ध नारा क्या है?
A: “Educate, Agitate, Organize”
निष्कर्ष
डॉ. अंबेडकर का जीवन साहस, संकल्प और समाज परिवर्तन का प्रतीक है। उन्होंने जीवनभर छुआछूत, भेदभाव और असमानता के खिलाफ लड़ाई लड़ी। भारतीय संविधान और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में उनका योगदान अमूल्य है।
उनकी सोच, विचार, और योगदान आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
Dr Babasaheb Ambedkar | डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर की अनसुनी कहानी




