Beltarodi Noise Pollution | बेलतरोडी में खुलेआम उड़ रही नियमों की धज्जियां, कौन है जिम्मेदार?

Beltarodi Noise Pollution | बेलतरोडी में खुलेआम उड़ रही नियमों की धज्जियां, कौन है जिम्मेदार?

Beltarodi Noise Pollution | बेलतरोडी में खुलेआम उड़ रही नियमों की धज्जियां, कौन है जिम्मेदार?

नागरिकों की नींद और कानूनी व्यवस्था — दोनों खतरे में

बेलतरोडी, नागपुर — शहर के तेजी से विकसित होते क्षेत्र बेलतरोडी में पिछले कुछ महीनों से लगातार निर्माण कार्य चल रहा है, जिसमें ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) के सभी तय मानकों की खुली अवहेलना की जा रही है। पाइल फाउंडेशन की बड़ी मशीनें दिन-रात इतनी तेज आवाज़ कर रही हैं कि 1 से 1.5 वर्ग किलोमीटर तक शोर फैल रहा है। नागरिकों का कहना है कि वे पिछले तीन महीने से नींद, शांति और स्वास्थ्य को लेकर परेशान हैं, लेकिन पुलिस और प्रशासन निष्क्रिय बना हुआ है।


Beltarodi Noise Pollution | बेलतरोडी में खुलेआम उड़ रही नियमों की धज्जियां, कौन है जिम्मेदार?

1. कानून क्या कहता है?

भारत सरकार द्वारा लागू ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियम, 2000 के अनुसार:

क्षेत्रदिन (6 बजे सुबह से 10 बजे रात)रात (10 बजे रात से 6 बजे सुबह)
औद्योगिक क्षेत्र75 dB(A)70 dB(A)
व्यावसायिक क्षेत्र65 dB(A)55 dB(A)
आवासीय क्षेत्र55 dB(A)45 dB(A)
साइलेंस जोन (अस्पताल, स्कूल)50 dB(A)40 dB(A)

इन नियमों का उद्देश्य नागरिकों को शोरमुक्त और स्वस्थ वातावरण देना है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने कई फैसलों में स्पष्ट कहा है कि “तेज शोर किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।” अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को “शांत और प्रदूषणमुक्त जीवन” का अधिकार प्राप्त है.


2. बेलतरोडी में क्या हो रहा है?

  • निर्माण स्थल पर रात-दिन पाइलिंग मशीनें चल रही हैं, जिनकी आवाज़ 100 से 120 डेसीबल तक पहुंच जाती है — जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
  • नागरिकों ने 112 नंबर पर अनेक बार शिकायत दी, लेकिन पुलिस का जवाब हर बार यही रहता है — “काम सुबह 8 बजे से शुरू हो सकता है।”
  • सवाल यह है कि जब आवाज़ की सीमा 55 डेसीबल से अधिक नहीं हो सकती, तो इन मशीनों को आवासीय क्षेत्र में चलाने की अनुमति किस आधार पर मिली?

3. पुलिस और प्रशासन की भूमिका

ध्वनि प्रदूषण नियमों के तहत कार्रवाई करने की जिम्मेदारी पुलिस, जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) पर है।

  • पुलिस को जैसे ही शिकायत मिले, उसका स्थल निरीक्षण कर रिपोर्ट MPCB को भेजनी चाहिए।
  • MPCB को उस रिपोर्ट पर तरीके से जांच और दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।
  • नगर निगम को निर्माण अनुमति और पर्यावरणीय प्रभाव के मानदंडों की समीक्षा करनी होती है.

लेकिन बेलतरोडी के इस मामले में तीनों विभागों की चुप्पी जनता के अधिकारों के हनन के समान है।


4. उच्च न्यायालयों की चेतावनी

बॉम्बे हाई कोर्ट और छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट दोनों ने साफ कहा है कि
“ध्वनि प्रदूषण सिर्फ कानूनी उल्लंघन नहीं, बल्कि यह स्वास्थ्य और जीवन के अधिकार के खिलाफ अपराध है।”
अदालतों ने राज्य सरकारों को ठोस SOP (Standard Operating Procedure) लागू करने का निर्देश दिया है ताकि रात के समय इंजन, DG सेट और निर्माण मशीनों से होने वाले शोर को रोका जा सके.


5. कानूनी कार्रवाई और सज़ा

ध्वनि प्रदूषण नियमों का उल्लंघन करने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना, या छह महीने की कैद, या दोनों हो सकते हैं।
धारा 290 और 291 IPC के तहत यह “Public Nuisance” (सार्वजनिक उपद्रव) का अपराध माना जाता है।


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6. आखिर जिम्मेदार कौन?

जब नियम मौजूद हैं, कानून स्पष्ट है और नागरिक जागरूक हैं — तो कार्रवाई में देरी क्यों?
क्या नियम सिर्फ आम नागरिकों के लिए हैं?
क्या बड़े बिल्डर कानून से ऊपर हैं?

यह मौन और सुस्ती से भरा रवैया न केवल स्थानीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है बल्कि प्रशासन की जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल उठाता है।


7. अपेक्षा और अपील

बेलतरोडी जैसे घनी आबादी वाले इलाके में इस तरह के ध्वनि प्रदूषण पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। पुलिस और प्रशासन को सामूहिक रूप से स्थल निरीक्षण कर, मशीन संचालन रोकना, दोषियों पर मामला दर्ज करना, और नागरिकों के शांति के अधिकार की रक्षा करना चाहिए।

कानून सबके लिए समान है — और कार्रवाई भी समान होनी चाहिए।


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