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ToggleEVM Machine Related Myths And Reality | इवीएम मशीन संबंधित मिथक और वास्तविकता
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), बैंगलोर और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL), हैदराबाद की ओर से वर्ष 1980-81में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को डिजाइन किया था । ईवीएम में दो यूनिट होते हैं, एक कंट्रोल यूनिट और दूसरा बैलट यूनिट दोनो यूनिट एक केबल के सहारे जुड़े होते हैं।
1982-83 में केरल के चुनाव में इस मशीन का पहली बार उपयोग किया गया था।
मिथक 1 : इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को हैक किया जा सकता है।
वास्तविकता : किसी अवैध उद्देश्य से कंप्यूटर नेटवर्क सुरक्षा प्रणालियों तक अनाधिकृत पहुंचया उन पर नियंत्रण करने के लिए “हैकिंग” की जाती है। परंतु भारतीय निर्वाचन आयोग के मुताबिकएवंकोनिम्नलिखित कर्म से हैकिंग करनाकिसी भी प्रकार से संभव नहीं है।
ईवीएम एक स्टैंडअलोन मशीन होने के साथ-साथ यह किसी भी तार या वायरलेस के माध्यम से किसी भी प्रकार के नेटवर्क से जुड़ी नहीं होती है।
यह सॉफ्टवेयर एक बार प्रोग्राम करने के बाद ईवीएम के माइक्रोकंट्रोलर को न तो पढ़ा जा सकता है और न ही किसी प्रकार का बदलाव किया जा सकता है।
मिथक 2 : मतदान समाप्ति के बाद यदि क्लोज बटन को ठीक से नहीं दबाया गया तो परिवहन के दौरान ईवीएम की सील तोड़ी जा सकती है और वोट भरा जा सकता है।
वास्तविकता : मतदान का समय पूरा हो जाने के बाद जब आखिरी मतदाता ने मतदान कर दिया हो, तब कंट्रोल यूनिट का प्रभारी अधिकारी/पीठासीन अधिकारी ‘क्लोज’ बटन दबाता है। इस प्रक्रिया के बाद ईवीएम कोई भी वोट स्वीकार नहीं करता है। मतदान का ‘शुरू होने का समय’ और ‘समाप्ति का समय’ और कुल मतगणना मशीन में और पीठासीन अधिकारी द्वारा भी दर्ज किया जाता है। मतदान समाप्त होने के बाद, कंट्रोल यूनिट को बंद कर दिया जाता है और उसके बाद बैलेट यूनिट को कंट्रोल यूनिट से अलग कर दिया जाता है और संबंधित कैरिंग केस में अलग से रख दिया जाता है और मतदान एजेंट के उपस्थिति में बैलट यूनिट और कंट्रोल यूनिट के कैरिंग केस को सील कर दिया जाता है। इसके अलावा, पीठासीन अधिकारी को फॉर्म 17-सी में दर्ज मतों के खाते की एक प्रति प्रत्येक मतदान एजेंट को सौंपनी होती है।
मिथक 3 : ईवीएम की मेमोरी में हेरफेर किया जा सकता है। और मतगणना कम या ज्यादा किया जा सकता है।
वास्तविकता : मतदान पूर्ण हो जाने के बाद सुरक्षा कर्मचारियों के निगरानी में के कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट को प्रशासनिक सुरक्षा में रखा जाता है।
दोहरी परत की सुरक्षा, सीसीटीवी की निगरानी और स्ट्रांग रूम के पास जाकर रूम का ताला तोड़ना और ईवीएम की सील तोड़ना संभव नहीं है।
ईवीएम की मेमोरी माइक्रोकंट्रोलर के अंदर होती है जो खुद UADM के अंदर होता है। अगर किसी ने भी UADM को खोलने का प्रयास किया तो EVM फ़ैक्टरी मोड में चली जाएगी।
मतदान किये गये ईवीएम और वीवीपैट को उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में स्ट्रांग रूम में रखा जाता है।
मिथक 4 : दोषपूर्ण ईवीएम से गलत वोट दर्ज हो सकते हैं।
वास्तविकता : ई.वी.एम. में किसी भी यांत्रिक, संरचनात्मक या भौतिक दोष जैसे की दोषपूर्ण स्विच, टूटे बटन, दोषपूर्ण कनेक्शन आदि के कारण मतदान के समय काम करने में परेशानि / विफल हो सकता है। परंतु इन सभी दोष के कारण ई.वी.एम. कभी भी गलत वोट दर्ज नहीं करते हैं।
वास्तविक मतदान में उपयोग करने से पहले ईवीएम के कार्य की तीन बार जांच की जाती है 1) अर्थात् एफएलसी के दौरान 2) उम्मीदवार सेटिंग के दौरान 3) सभी उम्मीदवार द्वारा नियुक्त मतदान एजेंट की उपस्थिति में मतदान शुरू होने से पहले।
गैर-कार्यात्मक ईवीएम की क्रम संख्या और कारण नोट किए जाते हैं और उन्हें विश्लेषण और मरम्मत के लिए ईवीएम निर्माताओं को भेजा जाता है।
मिथक 5 : ईवीएम को असुरक्षित तरीके से ले जाया जाता है।
वास्तविकता : ईवीएम हमको सुरक्षित और जिम्मेदारी से लेजाया जाता है।
नियोजित कार्य का आवंटन
ई.वी.एम. का आवंटन चुनाव आयोग द्वारा मतदान वाले राज्यों को किया जाता है। रिसीवर जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) को आवंटित ईवीएम के सुरक्षित भंडारण के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
ईएमएस का उपयोग पारदर्शिता के लिए देश भर में सभी ईवीएम के इन्वेंट्री प्रबंधन के लिए किया जाता है।
सुरक्षित परिवहन
केवल कंटेनरीकृत/सीलबंद ट्रकों का उपयोग किया जाता है।
ईवीएम वाहनों की जीपीएस ट्रैकिंग की जाती है।
सभी गतिविधियाँ 24X7 पुलिस सुरक्षा के देखरेख में की जाती है।
ईवीएम के सम्पूर्ण स्थानांतरण प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाती है।
मिथक 6 : ईवीएम का निर्माण निजी कंपनियों द्वारा किया जाता है।
वास्तविकता : ईवीएम को चुनाव आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति (टीईसी) द्वारा दो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अंतर्गत डिजाइन किया जाता है। अर्थात भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बैंगलोर जो की भारत के रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करती है और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद जो परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन है। भारत सरकार के इन दोनों उपक्रमों के सहयोग से ईवीएम को तैयार और डिजाइन किया गया है।
ईवीएम मशीन संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | FAQs about EVM Machine in Hindi
प्रश्न 1: क्या ईवीएम को हैक किया जा सकता है?
उत्तर: नहीं, भारतीय निर्वाचन आयोग के अनुसार ईवीएम को हैक करना संभव नहीं है। यह मशीन किसी नेटवर्क (इंटरनेट या वाई-फाई) से नहीं जुड़ी होती है, इसलिए इसे हैक करना संभव नहीं होता है। साथ ही, ईवीएम का सॉफ्टवेयर एक बार प्रोग्राम होने के बाद बदला नहीं जा सकता है।
प्रश्न 2: अगर क्लोज बटन सही से नहीं दबाया गया तो क्या ईवीएम की सील तोड़ी जा सकती है और वोट भरे जा सकते हैं?
उत्तर: मतदान समाप्ति के बाद ‘क्लोज’ बटन दबाते ही ईवीएम में कोई भी वोट दर्ज नहीं हो सकता। सभी यूनिट्स को सील कर दिया जाता है और यह मतदान एजेंट की उपस्थिति में किया जाता है, इसलिए इसमें छेड़छाड़ नहीं हो सकती।
प्रश्न 3: क्या ईवीएम की मेमोरी में हेरफेर की जा सकती है?
उत्तर: नहीं, मतदान के बाद ईवीएम को कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है, सीसीटीवी निगरानी होती है और ईवीएम की सील तोड़ना संभव नहीं है। ईवीएम में डाली गई वोटों की जानकारी को भी बदला नहीं जा सकता है।
प्रश्न 4: क्या दोषपूर्ण ईवीएम गलत वोट दर्ज कर सकती है?
उत्तर: नहीं, अगर ईवीएम में कोई तकनीकी समस्या होती है तो वह मतदान प्रक्रिया के दौरान काम नहीं करेगी। इसे वोटिंग से पहले तीन बार चेक किया जाता है ताकि किसी भी प्रकार का त्रुटि न हो।
प्रश्न 5: क्या ईवीएम का सुरक्षित परिवहन नहीं किया जाता?
उत्तर: ईवीएम का परिवहन पूरी सुरक्षा और जिम्मेदारी के साथ किया जाता है। इसे कंटेनर और सीलबंद ट्रकों में जीपीएस ट्रैकिंग के साथ ले जाया जाता है, साथ ही पुलिस सुरक्षा और वीडियोग्राफी भी की जाती है।
प्रश्न 6: क्या ईवीएम का निर्माण निजी कंपनियों द्वारा किया जाता है?
उत्तर: नहीं, ईवीएम का निर्माण दो सार्वजनिक उपक्रमों – भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), बैंगलोर और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL), हैदराबाद द्वारा किया जाता है, जो भारत सरकार के नियंत्रण में हैं।
ईवीएम के बारे में कई मिथक प्रचलित हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि इसे पूरी तरह सुरक्षित, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने के लिए सभी मापदंडों का पालन किया जाता है।