गणेश चतुर्थी 2024 | Ganesh Chaturthi 2024

Ganesh Chaturthi 2024 | गणेश चतुर्थी 2024

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गणेश चतुर्थी 2024: गणपति बप्पा मोरया!

गणेश चतुर्थी 2024 की तारीख:

Ganesh Chaturthi 2024 | गणेश चतुर्थी का पर्व इस साल 7 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी 2024 | Ganesh Chaturthi 2024

गणेश चतुर्थी मुहूर्त:

गणेश चतुर्थी के दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:

  • चतुर्थी तिथि आरंभ: 6 सितंबर 2024 को रात 11:35 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 7 सितंबर 2024 को रात 8:15 बजे
  • गणेश स्थापना का शुभ समय: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:38 बजे तक
पर्व का नामतारीखमुहूर्त का समय
गणपति चतुर्थी7 सितंबर 2024– चतुर्थी तिथि आरंभ: 6 सितंबर 2024, रात 11:35 बजे
– चतुर्थी तिथि समाप्त: 7 सितंबर 2024, रात 8:15 बजे
– गणेश स्थापना का शुभ समय: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:38 बजे तक
अनंत चतुर्दशी17 सितंबर 2024– विसर्जन का शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:55 बजे से शाम 4:25 बजे तक

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?

गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व भक्तों को सुख, शांति, समृद्धि और विघ्नों के नाश की कामना के साथ मनाया जाता है। गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना जाता है, और इस दिन उनकी पूजा से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का नाश होता है।

गणेश जी का जन्म कैसे हुआ?

पुराणों के अनुसार, माता पार्वती ने अपने शरीर के उबटन से गणेश जी की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण डाल दिए। उन्होंने गणेश जी को द्वारपाल के रूप में नियुक्त किया। जब भगवान शिव वापस आए और उन्हें अंदर जाने से रोका गया, तो शिवजी ने क्रोध में गणेश जी का सिर काट दिया। बाद में माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने गणेश जी के शरीर पर हाथी का सिर लगाकर उन्हें पुनर्जीवित किया और उन्हें सभी देवताओं में प्रथम पूज्य घोषित किया।

गणेश चतुर्थी पूजा विधि

क्रमपूजा विधि
1.गणेश जी की मूर्ति स्थापना: शुभ मुहूर्त में गणेश जी की मूर्ति को घर लाकर एक साफ स्थान पर लाल या पीले कपड़े पर स्थापित करें।
2.स्नान और वस्त्र पहनाना: गणेश जी को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं और उन्हें सुंदर वस्त्र, माला, और मुकुट पहनाएं।
3.पूजा की तैयारी: पूजा सामग्री जैसे दूर्वा, फूल, सिंदूर, चंदन, अक्षत, पान, सुपारी, नारियल, और प्रसाद तैयार करें।
4.आवहान और ध्यान: गणेश जी का आवहान करें और ‘ऊं गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करते हुए ध्यान करें।
5.गणेश जी को अर्पण: गणेश जी को दूर्वा, फूल, सिंदूर, चंदन, पान, सुपारी, नारियल और मिठाई (मोदक) चढ़ाएं।
6.मंत्र जाप: गणेश जी की अष्टोत्तरशत नामावली (108 नाम) का जाप करें और “संकटनाशन गणेश स्तोत्र” का पाठ करें।
7.आरती: गणेश जी की “जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति” आरती करें और धूप, दीप, कर्पूर दिखाएं।
8.प्रसाद वितरण: पूजा के बाद भगवान गणेश को चढ़ाए गए प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित करें।
9.गणेश जी की विदाई: णेश चतुर्थी के पश्चात भक्त अपनी श्रद्धा और परंपरा के अनुसार गणपति बप्पा को 1.5 दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन, या 10 दिन तक घर में स्थापित रखते हैं। इसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन उनका विसर्जन विधिपूर्वक किया जाता है।

गणेश चतुर्थी पर गणेश स्थापना की सही दिशा

गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की स्थापना करते समय दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, गणेश जी की मूर्ति की स्थापना उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में करना सबसे शुभ माना जाता है। यह दिशा भगवान गणेश के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है क्योंकि इसे शुभता, समृद्धि, और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। अगर उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापना संभव न हो, तो आप पश्चिम या उत्तर दिशा में भी गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं।

इससे घर में शांति और समृद्धि का संचार होता है।

पूजा में इस्तेमाल होने वाले फूल:

गणेश जी की पूजा में मुख्य रूप से लाल गुड़हल, गेंदा, और दूर्वा घास का प्रयोग किया जाता है। इन फूलों से गणेश जी को असीम प्रसन्नता मिलती है।

प्रसाद में क्या होना चाहिए?

गणेश चतुर्थी के दिन प्रसाद के रूप में मोदक, लड्डू, गुड़-धनिया, नारियल, और पंचामृत का प्रयोग करना चाहिए। मोदक गणेश जी का प्रिय प्रसाद माना जाता है।

कितने दिनों तक गणपति बप्पा विराजमान रहते हैं?

गणेश चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की स्थापना की जाती है और वे आमतौर पर 1.5 दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन, या 10 दिन तक विराजमान रहते हैं। 10वें दिन अनंत चतुर्दशी पर गणपति विसर्जन का आयोजन किया जाता है।

अनसुनी कहानियाँ:

  • गणेश जी का परशुराम से मिलन: एक बार परशुराम जी ने गणेश जी के धड़ पर वार किया, जिससे उनकी एक दांत टूट गई। इसलिए गणेश जी को ‘एकदंत’ भी कहा जाता है।
  • गणेश जी और चंद्रमा: एक बार गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया था कि जो भी चंद्रमा को देखेगा, उस पर झूठा कलंक लगेगा। इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन से बचने की सलाह दी जाती है।

कौनसी आरती गणपति जी को पसंद आती है?

गणपति जी को “जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति, दर्शन मात्र मोहे सफलो जाती” आरती बहुत प्रिय है। इस आरती का गायन करने से गणेश जी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

गणेश चतुर्थी का क्या महत्व है?

गणेश चतुर्थी का पर्व भक्तों के जीवन में नई ऊर्जा का संचार करता है। यह दिन जीवन की समस्याओं को दूर करने और सफलता की नई राहों को खोलने का प्रतीक है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा से बुद्धि, विवेक और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

अनंत चतुर्दशी की तारीख और मुहूर्त:

  • अनंत चतुर्दशी की तारीख: 17 सितंबर 2024
  • विसर्जन का शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:55 बजे से शाम 4:25 बजे तक

इस दिन गणपति बप्पा का विसर्जन धूमधाम से किया जाता है और उन्हें अगले वर्ष पुनः आने का निमंत्रण दिया जाता है।

अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि

क्रमपूजा विधिमुहूर्त
1.पूजा की तैयारी: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा सामग्री तैयार करें।
2.गणेश जी की मूर्ति की विदाई: गणेश जी को स्नान कराएं, ताजे वस्त्र पहनाएं, और उन्हें दूर्वा, फूल, सिंदूर, और चंदन अर्पित करें।
3.प्रार्थना और मंत्र जाप: “ऊं गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें और “संकटनाशन गणेश स्तोत्र” का पाठ करें।
4.अनंत चतुर्दशी की पूजा: अनंत सूत्र का पूजन करें। अनंत सूत्र को सफा स्थान पर रखें और उसमें फूलों की माला अर्पित करें।
5.प्रसाद और आरती: गणेश जी को चढ़ाए गए प्रसाद को वितरित करें और “जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति” आरती करें।
6.विसर्जन की तैयारी: गणेश जी की मूर्ति को विसर्जन के लिए तैयार करें।विसर्जन का शुभ समय: दोपहर 1:55 बजे से शाम 4:25 बजे तक
7.विसर्जन समारोह: मूर्ति को विधिपूर्वक विसर्जित करें। इस दौरान धूप, दीप, और पुष्प अर्पित करें और “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” का जाप करें।

गणेश चतुर्थी 2024 के इस पर्व को हर्षोल्लास से मनाएं और गणपति बप्पा से अपने जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करें।


गणेश चतुर्थी 2024 को लेकर कुछ दिलचस्प और अनोखी जानकारियां:

1. तारों की छांव में गणपति स्थापना:

  • गणेश चतुर्थी 2024 का शुभारंभ रात 11:35 बजे होगा, जब चतुर्थी तिथि शुरू होगी। इस समय पर, आकाश में सितारों की छांव में गणपति स्थापना का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि इस समय ग्रह और नक्षत्र गणेश जी के भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं।

2. अनुष्ठानिक मोदक:

  • 2024 में गणेश चतुर्थी पर खास मोदक बनाए जाएंगे, जिनमें केसर और पिस्ता का प्रयोग अधिक होगा। माना जाता है कि इस साल, इन मोदकों को अर्पित करने से गणेश जी की कृपा शीघ्र प्राप्त होगी और परिवार में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहेगी।

3. हरित गणेशोत्सव:

  • इस साल गणेश चतुर्थी के दौरान पर्यावरण की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। अधिकतर भक्त इस साल मिट्टी से बने गणेश जी की मूर्तियों का चयन करेंगे, जिन्हें विसर्जन के बाद पौधे के रूप में बदलने का भी विकल्प मिलेगा। यह पहल पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए प्रेरित करेगी।

4. पंचधातु के गणेश:

  • गणेश चतुर्थी 2024 में पंचधातु (सोना, चांदी, तांबा, जस्ता और लोहा) से बनी गणेश जी की मूर्तियों का भी चलन बढ़ेगा। इन मूर्तियों को घर में रखने से धन, समृद्धि, और सौभाग्य का वास होता है। इसके साथ ही, ये मूर्तियाँ लंबे समय तक सुरक्षित रखी जा सकती हैं।

5. सौर मंडल की प्रतीक रंगोली:

  • इस साल गणेश चतुर्थी पर भक्तों द्वारा सौर मंडल की थीम पर आधारित रंगोली बनाने का ट्रेंड देखा जाएगा। इस रंगोली में सूर्य, चंद्रमा, ग्रह, और तारों की आकृतियों को दर्शाया जाएगा, जो कि गणेश जी की प्राचीन वैदिक महिमा और ब्रह्मांड के प्रति उनकी शक्ति को दर्शाता है।

6. आध्यात्मिक ध्वनियों का प्रभाव:

  • 2024 की गणेश चतुर्थी पर कई स्थानों पर बायोफिलिक डिज़ाइन (प्राकृतिक ध्वनियों का उपयोग) का उपयोग किया जाएगा, जिसमें जलधारा, पक्षियों की चहचहाहट, और अन्य प्राकृतिक ध्वनियाँ शामिल होंगी। यह गणेश पूजा के दौरान मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊँचाई प्रदान करेगा।

7. गणेश चतुर्थी का डिजिटल रूप:

  • इस साल, गणेश चतुर्थी को ऑनलाइन भी बड़े पैमाने पर मनाया जाएगा। विशेषकर गणेश जी की पूजा और आरती का सीधा प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) करने का चलन बढ़ेगा, जिससे भक्त देश-विदेश में कहीं से भी इस पवित्र पर्व का हिस्सा बन सकेंगे।

इन अनोखी जानकारियों से 2024 की गणेश चतुर्थी न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यावरणिक दृष्टि से भी विशेष रूप से यादगार बनने वाली है।


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गणेश चतुर्थी 2024: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. गणेश चतुर्थी 2024 की तारीख क्या है?
गणेश चतुर्थी 2024 इस साल 7 सितंबर को मनाई जाएगी।

2. गणेश चतुर्थी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
गणेश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:38 बजे तक है।

3. अनंत चतुर्दशी कब है और इसका मुहूर्त क्या है?
अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर 2024 को है। विसर्जन का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:55 बजे से शाम 4:25 बजे तक है।

4. गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह दिन सुख, समृद्धि, और विघ्नों के नाश की कामना के साथ मनाया जाता है।

5. गणेश जी का जन्म कैसे हुआ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने गणेश जी की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण डाल दिए। भगवान शिव ने गणेश जी का सिर काट दिया, लेकिन माता पार्वती की प्रार्थना पर भगवान शिव ने गणेश जी को हाथी के सिर से पुनर्जीवित किया।

6. गणेश चतुर्थी की पूजा विधि क्या है?
गणेश जी की मूर्ति को शुभ मुहूर्त में स्थापित करें, स्नान कराएं, वस्त्र पहनाएं, पूजा सामग्री अर्पित करें, मंत्र जाप करें, आरती करें और प्रसाद वितरित करें। गणेश जी की मूर्ति को 1.5, 3, 5, 7, या 10 दिन तक घर में स्थापित रखा जा सकता है और फिर विसर्जन किया जाता है।

7. गणेश जी की मूर्ति किस दिशा में स्थापित करनी चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, गणेश जी की मूर्ति को उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में स्थापित करना सबसे शुभ माना जाता है।

8. गणेश चतुर्थी पर कौनसे फूल इस्तेमाल किए जाते हैं?
गणेश जी की पूजा में मुख्य रूप से लाल गुड़हल, गेंदा, और दूर्वा घास का उपयोग किया जाता है।

9. गणेश चतुर्थी के दिन प्रसाद में क्या होना चाहिए?
प्रसाद में मोदक, लड्डू, गुड़-धनिया, नारियल, और पंचामृत शामिल किया जाना चाहिए। मोदक गणेश जी का प्रिय प्रसाद है।

10. गणपति बप्पा कितने दिनों तक विराजमान रहते हैं?
गणपति बप्पा आमतौर पर 1.5 दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन, या 10 दिन तक घर में विराजमान रहते हैं। अंत में अनंत चतुर्दशी पर उनका विसर्जन किया जाता है।

11. गणेश चतुर्थी की विशेष कहानियाँ क्या हैं?
गणेश जी का परशुराम से मिलन और गणेश जी द्वारा चंद्रमा को श्राप देना प्रमुख कहानियाँ हैं। गणेश जी को ‘एकदंत’ भी कहा जाता है।

12. गणेश जी की कौनसी आरती प्रिय है?
गणेश जी को “जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति” आरती बहुत प्रिय है।

13. गणेश चतुर्थी का महत्व क्या है?
गणेश चतुर्थी जीवन में नई ऊर्जा का संचार करती है और समस्याओं को दूर करने तथा सफलता की नई राहों को खोलने का प्रतीक है।

14. 2024 में गणेश चतुर्थी पर क्या विशेष ट्रेंड्स देखने को मिलेंगे?
इस साल, पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मिट्टी की मूर्तियाँ, पंचधातु के गणेश, और सौर मंडल की थीम पर आधारित रंगोली बनाई जाएगी। डिजिटल पूजा और अनुष्ठानिक मोदक भी विशेष रूप से लोकप्रिय होंगे।


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