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महाशिवरात्रि 2024 | MAHASHIVRATRI 2024 :महाशिवरात्रि, हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल फाल्गुण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है और भक्त उनकी आराधना में लगे रहते हैं। यह पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है और भगवान शिव के भक्तों के बीच एक अद्वितीय भावना का माहौल बना रहता है।

महाशिवरात्रि का मतलब होता है ‘भगवान शिव की रात्रि’ और इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा होती है। महाशिवरात्रि के इस दिन ही भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था। आज शिवभक्त व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। महाशिवरात्रि के इस दिन भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। भगवान शिव को तांडव नृत्य करते हुए देखने का आनंद लेने के लिए इस दिन को रात्रि के विशेष समय में मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के मंदिरों में भक्तों की भरमार होती है। भक्त अपने मन, वचन, और क्रिया से भगवान की पूजा करते हैं और उन्हें गंगा जल और धातू चढ़ाएं जाती हैं। भगवान शिव की मूर्ति को बिल्वपत्र, धातू, और फलों से सजाकर उनकी आराधना की जाती है।
इस दिन को व्रत रखकर भी भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं और रात्रि के समय में जागरूक रहते हैं। कुछ लोग नींबू, बेलपत्र, और धूप के साथ भगवान की पूजा करते हैं। महाशिवरात्रि का त्योहार भगवान शिव के आदर्श भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण और पवित्र दिन है जिसे ध्यान में रहकर मनाना चाहिए।
महाशिवरात्रि 2024 के पूजा का शुभ मुहूर्त | MAHASHIVRATRI SHUBH MUHURAT 2024
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करना विशेष महत्वपूर्ण है और इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण मुहूर्त विद्यमान होते हैं। यहां महाशिवरात्रि की पूजा और मुहूर्त के बारे में कुछ जानकारी दी जा रही है:
प्रथम प्रहर में पूजा का समय 8 मार्च की शाम 06:25 मिनट से रात्रि 09:28 मिनट तक है। दूसरे प्रहर में पूजा का समय रात्रि 09:28 मिनट से 9 मार्च की मध्य रात्रि 12:31 बजे तक है। वहीं तीसरे प्रहर में पूजा का समय 9 मार्च की मध्य रात्रि 12:31 मिनट से प्रातः 03:34 मिनट तक है। जबकि चतुर्थ प्रहर का पूजा समय 9 मार्च को ही प्रातः 03:34 मिनट से सुबह 06:37 मिनट तक है।
- महाशिवरात्रि के पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त रात्रि के समय होता है, जब नीलकंठ (शिव) के ध्यान में रहना और पूजा करना अत्यंत फलदायी होता है।
- सायंकाल का समय शिवरात्रि के पूजा के लिए बहुत उपयुक्त है, जब भक्त जागरूक रहते हैं और भगवान शिव की आराधना में लगे रहते हैं।
- पूरे रात्रि भगवान की भक्ति में बिताने वाले लोगों को विशेष आशीर्वाद मिलता है।
महाशिवरात्रि के पूजा और मुहूर्त का पालन करके भक्त भगवान शिव से अधिक समीप आ सकते हैं और उनसे अधिक आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि पूजा | MAHASHIVRATRI PUJA
- पूजा की शुरुआत गंगा जल और दूध के संयोजन से की जाती है, जिसे भगवान शिवजी की मूर्ति पर चढ़ाया जाता है।
- बिल्वपत्र, धातू, और फलों से भगवान शिव की मूर्ति को सजाकर उनकी पूजा की जाती है।
- रुद्राभिषेक, शिव चालीसा, और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ किया जाता है।
- भक्त व्रत रखते हैं और पूरे दिन शिवजी का ध्यान रखते हैं।
शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों की विवरण | DETAILS OF 12 JYOTIRLINGA
- सोमनाथ (गुजरात): सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के प्रशांत समुद्र के किनारे स्थित है। यहां शिव की पूजा बड़े श्रद्धा भाव से की जाती है।
- मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश): मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश में स्थित है और यहां भगवान की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
- महाकालेश्वर (मध्यप्रदेश): महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन, मध्यप्रदेश में स्थित है और यहां भगवान का नाम “महाकाल” है। यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
- ओंकारेश्वर (महाराष्ट्र): ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नाशिक, महाराष्ट्र में स्थित है और इसका संबंध गोधावरी नदी से है।
- केदारनाथ (उत्तराखंड): केदारनाथ ज्योतिर्लिंग हिमालय के गहरे स्थानों में स्थित है और यहां भगवान की पूजा विशेष धूमधाम के साथ की जाती है।
- भीमाशंकर (महाराष्ट्र): भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पुणे, महाराष्ट्र में स्थित है और यहां शिव की पूजा बड़े श्रद्धा भाव से की जाती है।
- काशी विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश): काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है और यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
- त्र्यम्बकेश्वर (महाराष्ट्र): त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग नाशिक, महाराष्ट्र में स्थित है और यहां भगवान की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
- वैद्यनाथ (झारखंड): वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग देवघर, झारखंड में स्थित है और यह भगवान के शक्तिपीठों में से एक है।
- नागेश्वर (द्वारका, गुजरात): नागेश्वर ज्योतिर्लिंग द्वारका, गुजरात में स्थित है और यह भगवान की पूजा बड़े श्रद्धा भाव से की जाती है।
- रामेश्वर (तमिलनाडु): रामेश्वर ज्योतिर्लिंग रामेश्वरम, तमिलनाडु में स्थित है और यह भगवान के तीर्थ स्थलों में से एक है।
- गृष्णेश्वर (महाराष्ट्र): गृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग आज्ञारी, महाराष्ट्र में स्थित है और इसका संबंध गोधावरी नदी से है।
प्राचीन शिव मंदिरो का इतिहास
श्री कल्याणेश्वर शिव मंदिर, नागपुर (तेलंखेड़ी) | SHREE KALYANESHWAR SHIV MANDIR, NAGPUR
कल्याणेश्वर शिव मंदिर तेलंखेड़ी, नागपुर में स्थित है और यह 226 वर्ष पुराना है। इसका निर्माण राजा रघुजी भोसले ने 1785 में किया था। प्रतिदिन पूजा का आरंभ इस मंदिर के प्रति राजा रघुजी की आदत थी। श्रावण मास में, राजा का परिवार मंदिर में रहता था जो पूर्व की दिशा में स्थित है। मंदिर का प्रबंधन पहले भोंसले देवस्थान ट्रस्ट द्वारा किया जाता था। 1925 में भोंसले की समस्त संपत्तियां कोर्ट ऑफ वार्ड्स की कब्जे में गईं, लेकिन मंदिर अब भी भोंसलों के कब्जे में रहा।
बाद में, स्थानीय लोगों ने मंदिर की देखभाल की और एक पुजारी को नियुक्त किया। जब पुजारी का निधन हो गया, राजा जयसिंघराव भोंसले ने मंदिर की देखभाल करना शुरू किया। 1970 में, जयसिंघराव की मृत्यु हो गई और मंदिर को वार्ड्स कोर्ट की कब्जे में गया और गंगाधर पटने को पुजारी नियुक्त किया गया। 1983 में, भोंसले संपत्ति का विभाजन होने के बाद, तेलंखेड़ी मंदिर को कमलराजे जयसिंघराव भोंसले के कब्जे में आया। यह 1984 में एक कानूनी युद्ध के बीच फिर से ‘वार्ड्स कोर्ट’ की कब्जे में गया। मंदिर को 1995 में अशुतोष शेवालकर ने खरीदा और तब से यह शेवालकर परिवार की संपत्ति में है। अब मंदिर उनकी निजी संपत्ति है।

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वर्तमान स्थिति:
कल्याणेश्वर शिव मंदिर 2003 में राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित हेरिटेज बिल्डिंग्स और संरक्षण क्षेत्रों की सूची में ग्रेड I स्थान के रूप में दर्ज है। इसकी स्थिति को सुबहीत बताया गया है। इसमें पत्थर में ‘गर्भगृह’, ‘अंतरालय’ और ‘मंडप’ हैं। मंदिर के ‘गर्भगृह’ के ऊपर एक गुम्बददार छत है। इस संरचना को अब तक तीन बार पुनर्निर्माण किया गया है। शेवालकर के कब्जे में आने से पहले, शिखर पर कला का काम गहरे चूने की मोटी परत के कारण गायब हो गया था। शेवालकर ने इस परत को हटाया और कला को पुनर्स्थापित किया। स्वतंत्रता के बाद, कई साधु मंदिर में शरण लेने आए थे। शिव भक्तों ने इसे मरम्मत किया और एक बड़े ‘यज्ञ’ का आयोजन किया गया जिसे कांची कामकोठी पीठ शंकराचार्य ने किया। केंद्रीय वित्त मंत्री सीडी देशमुख भी मौजूद थे। वर्तमान पुजारी सखाराम गजरे पिछले 15 वर्षों से मंदिर में वास कर रहे हैं। इसमें 97 स्तंभ हैं जो ग्रे स्टोन से बने हैं। मंदिर काले पत्थरों से बना है। इसका ‘शिखर’ बुरी हालत में है और उस पर छोटे पौधे और पेड़ उग गए हैं। मंदिर में पार्वती की मूर्तियां लक्ष्मी, गंगा और दुर्गा के रूप में हैं। यहां अन्नपूर्णा माता, नाग और गणपति की मूर्तियां भी स्थापित हैं।
वर्तमान उपयोग:
प्रतिदिन 100-150 भक्त मंदिर की श्रद्धांजलि के लिए आते हैं। महाशिवरात्रि को दर्शन के लिए लाखों लोग आते हैं। श्रावण मास में भी कई शहर के बाहर से भक्त मंदिर की यात्रा करते हैं। आशीर्वाद मास में भजन, कीर्तन, पाठ, महाप्रसाद और ‘अभिषेक’ जैसे कई धार्मिक कार्यक्रम होते हैं। आठ वर्ष पहले, शेवालकर ने मंदिर की तह ठीक की थी। पुराने टाइल्स को मार्बल से बदल दिया गया था। प्रतिवर्ष, संरचना को अच्छी स्थिति में रखने के लिए मंदिर को व्हाइटवॉश किया जाता है।
अर्धनारीश्वर मंदिर (मोहगाँव) का प्राचीन इतिहास | HISTORY OF ARDHNARISHWAR TEMPLE
अर्धनारीश्वर मंदिर: एक प्राचीन स्थल
मोहगाँव हवेली, छिंदवाड़ा जिले के तालुका सौसर में स्थित अर्धनारीश्वर मंदिर भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का अद्वितीय हिस्सा है। यहां का प्राचीन इतिहास बहुत रिच और महत्वपूर्ण है, जो इस स्थान को कई संतों और धार्मिक पुराणों के द्वारा महत्त्वपूर्ण बनाता है। राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज और अनुसूया माता के आगमन से इस गाँव ने एक धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र की भूमिका निभाई है।

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अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग: एक दिव्य प्रतीति
मोहगाँव में स्थित अर्धनारीश्वर मंदिर का महत्वपूर्ण हिस्सा है अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग, जो आधा पुरुष और आधा स्त्री के रूप में प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण महामृत्युंजय यंत्र के आधार पर हुआ है और इसका उद्दीपन प्राचीन समय में हुआ। मंदिर का आकार ओंकार के समान है और इसे सर्पीन नदी से घिरा हुआ पाया जाता है। यहां का मान्यता में है कि शुक्राचार्य ने इसी स्थान पर तपश्चर्या की थी और उन्होंने भगवान शंकर और माता पार्वती की कृपा से अर्धनारिण्टेश्वर ज्योतिर्लिंग को स्थापित किया। यह स्थान भक्तों के लिए एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र बन चुका है।
महत्वपूर्ण स्थान और पर्यटन: चारों दिशाओं में विविधता
मोहगाँव के आस-पास कई महत्वपूर्ण स्थान हैं, जैसे रामजी बाबा का पवित्र स्थान, महामाया भगवती का मंदिर, रुद्र हनुमान का मंदिर, और पंढरीनाथ का मंदिर। यहां सालभर्डी किला, जमलापानी सिद्धेश्वर मंदिर, और अमृतकुंड जैसे अन्य धार्मिक स्थल भी हैं। यहां का वातावरण भक्तों और पर्यटकों के बीच आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है।
महाशिवरात्रि सप्ताह: एक धार्मिक उत्सव
मोहगाँव में हर साल महाशिवरात्रि सप्ताह का आयोजन होता है, जिसमें भगवान शिव की पूजा, श्रावण मास में महारुद्राभिषेक, और कालसर्पयोग दोष शांति पूजा शामिल होती हैं। इस उत्सव में कई संत और भक्त भाग लेते हैं और महाशिवरात्रि के दिन सूर्य की पहली किरण सीधे ज्योतिर्लिंग पर पहुंचती है।
जीर्णोद्धार का प्रयास: स्थल की सुरक्षा और उन्नति
मोहगाँव मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए श्री सुकुमारजी नशीने के विशेष प्रयासों ने इस स्थल को सुंदर और सुरक्षित बनाए रखा है। उनका योगदान स्थल को प्राचीनता के साथ संगीतित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस महत्वपूर्ण स्थल का आनंद ले सकें।
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