1947 के स्वतंत्रता के बाद बहुत से स्थान संस्थान थे जिन्हें अंग्रेजों ने तीन विकल्प दिये थे या तो वो भारत में शामिल हो जाए या तो पाकिस्तान में शामिल हो जाए या फिर स्वतंत्र रहे हैदराबाद संस्थान के निजाम ने स्वतंत्र रहने का विकल्प चुना।
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Toggleऑपरेशन पोलो (1948) की पूरी सच्चाई
हैदराबाद में हुआ सन 1948 का पुलिस एक्शन जो की ऑपरेशन पोलो के नाम से जाना जाता है वहां हैदराबाद को भारतिय संघ राज्य में शामिल करने के लिए था वह ऑपरेशन 13 से 18 सितंबर तक चला था और अंत में हैदराबाद को भारत में शामिल कर लिया गया।
हैदराबाद संस्थान का गठन
हैदराबाद के स्वतंत्र राज्य का संस्थापक अमीर कमरुद्दीन निजाम- उल- मुल्क था वह अत्यंत धूर्त, चानक्ष, मुत्सद्दी और महत्वाकांक्षी राजा था| निजाम- उल- मुल्क को मुगल सम्राट द्वारा आसाफजहा खिताब दिया गया था, इसलिए इस घराने को आसफजाही ही घराने के नाम से भी जाना जाता है|
निजाम उल मुल्क ने 1724 से 1748 तक पूरे 24 वर्ष तक राज किया| 1748 से 1762 तक हैदराबाद संस्थान में वारसा युद्ध चला उसके बाद उसका लड़का निजाम अली हैदराबाद संस्थान का राजा बना, इस घराने में पूरे सात राजाओं ने 224 वर्ष तक राज किया| निजाम मीर- उस्मान- अली हैदराबाद संस्थान का आखरी राजा था और इसी के कार्यकाल में सन 1948 में ऑपरेशन पोलो के तहत हैदराबाद संस्थान को भारतीय संघ राज्य में शामिल किया गया था|
निजाम मीर उस्मान अली (ई.स. 1911- 1948)
सातवा और आखिरी निजाम अमीर उस्मान अली खान अगस्त 1911 में गद्दीपर आया, वह बहुत ही महत्वाकांक्षी था| स्वतंत्र इस्लामी राष्ट्र स्थापन करना उसका सपना था, हैदराबाद राज्य में मुसलमानो की संख्या 11% थी परंतु नौकरियों में उनका प्रमाण 75% था इससे साफ समझ आता है, कि प्रशासन बहुत ही पक्षपाती था|1917 में हैदराबाद में उस्मानिया विद्यापीठ की स्थापना हुई और उस राज्य की राजभाषा फारसी थी|
स्टेट कांग्रेस की स्थापना – बंदी और सत्याग्रह
1938 में हैदराबाद शहर में कांग्रेस कमेटी की स्थापना हुई, हैदराबाद संस्थान में बाहर से आने वाले वृत्त पत्रों पर बंदी लगाई गई 1938 में स्वामी रामानंद तीर्थ अंबाजोगाई छोड़कर हैदराबाद में रहने आये| राजकीय स्थिति बदल रही थी और तभी हैदराबाद संस्थान में 21 जून 1938 में स्टेट कांग्रेस की स्थापना करने का निर्णय लिया गया, निजाम सरकार के मन में कांग्रेस शब्द खटक रहा था तब उसे विध्वंसक संघटना नाम देकर निजाम सरकार ने 7 सितंबर 1938 को स्टेट कांग्रेस पर बंदी लगा दी|
रजाकार संघटनाए
हैदराबाद संस्थान में रजाकार संघटनाओ का अध्यक्ष कासिम राजवी इत्तेहादुल मुसलमिन था| रजाकार एक लश्करी संगठन थी इस संगठन को निजाम के वयक्तिक कोषागार से वित्तीय सहायता प्राप्त थी, कासिम रिजवी ने रझाकारो का उपयोग करके हैदराबाद संस्थान में अपनी दहशत निर्माण कर दी थी| संस्थान में प्रजा और रजाकार के बीच संघर्ष बढ़ता ही जा रहा था, कासिम रिजवी के नेतृत्व में इत्तेहादुल मुस्लिम इस संगठन की एक सशस्त्र सेना तैयार हुई वहां सभी तरफ रजाकार नाम से प्रसिद्ध थी|
ऑपरेशन पोलो प्रत्यक्ष कार्यवाही (1948)
कासिम रिजवी ने सभी तरफ रझाकारो की संख्या बढ़ाकर लोगों पर अत्याचार जारी रखा| रझाकारो ने रक्तपात, लूटमार करना जारी रखा इस पर भारत सरकार ने निजाम को पत्र लिखा कि यह सब बंद करें परंतु निजाम पर इसका कोई प्रभाव नहीं पडा। इसलिए भारत सरकार ने 7 सितंबर 1948 को सैन्य दल को हैदराबाद पर चढ़ाई करने का आदेश दिया भारतीय सेना 13 सितंबर 1948 को सुबह 4:00 बजे हैदराबाद संस्थान में पांच अलग-अलग जगह से घुसी |
हैदराबाद विरुद्ध इस योजना को ऑपरेशन पोलो संकेत नाम दिया गया भारतीय सेना के जनरल गोडार्ड इन्होंने यह योजना तैयार की थी, बाद में उनकी जगह लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र सिंह इनकी नियुक्ति की गई, इनके मार्गदर्शन में मेजर जनरल जयंत चौधरी, मेजर जनरल डी.एस. ब्रार, मेजर जनरल ए. ए. रुद्र, ब्रिगेडीयर शिव दत्त सिंह और एअर वॉइस मार्शल मुखर्जी इन्होंने इस योजना को अंजाम दिया| निजाम सैन्य का नेतृत्व मेजर जनरल अल- इद्रिस कर रहे थे|
मुख्य लड़ाई से पहले आर्म्ड डिवीजन ने सोलापुर में सोलापुर सिकंदराबाद राजमार्ग पर लड़ाई हुई जिसका नेतृत्व मेजर जनरल जयंत चौधरी कर रहे थे, दूसरी अघाड़ी विजयवाड़ा मार्ग पर थी। उसके अलावा कुरनूल, आदिलाबाद चालीसगांव मार्ग,गदग- रायपुर मार्ग ऐसे अलग-अलग जगह से भारतीय फौज हैदराबाद संस्थान में घुसी, सेना की कार्यवाही 17 सितंबर 1948 तक शुरू रही|
17 सितंबर 1948 की शाम को निजाम ने अपनी हार घोषित की और अपनी फौज को युद्ध रोकने का आदेश दिया, 18 सितंबर 1948 को भारतीय फौज ने निजाम की राजधानी हैदराबाद में प्रवेश किया वहां मेजर जनरल चौधरी ने निजाम के सेना प्रमुख जनरल अल- इद्रिश से शरणागति पत्र स्वीकारने के बाद सैनिक की कार्यवाही पूरी की|
और इस तरह निजाम के जुल्मी सत्ता का सर्वनाश कर हैदराबाद संस्थान भारतीय संघ राज्य का भाग बना|
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