भारतीय पंचायती राज व्यवस्था | Panchayati Raj System In Hindi

भारतीय पंचायती राज व्यवस्था | Panchayati Raj System In Hindi

पंचायती राज व्यवस्था एक ऐसी व्यवस्था है जिससे केंद्रीय सत्ता को विभिन्न क्षेत्रो में विभाजित किया जाता है,   ताकी केंद्र सरकार की विकास योजनाओ को देश के विभिन्न क्षेत्रो में बहोत ही सुलभ तरीके से क्रियान्वित किया जा सके| पंचायती राज व्यवस्था वर्ष 1952 में 73 वा संविधान संसोधन करके संवैधानिक दर्जा दिया गया|

इस लेख में हम परीक्षा के दृष्टिकोन से जो महत्वपूर्ण है उसके बारे में पढ़ेंगे!

1. पंचायती राज व्यवस्था पृष्ठभूमि

2. पंचायत राज से संबंधीत समितियाँ

3. 73 और 74 वा सविधान संशोधन अधिनियम 1992

भारतीय पंचायती राज व्यवस्था | Panchayati Raj System In Hindi

पंचायती राज व्यवस्था पृष्ठभूमि

भारत में पंचायती राज व्यवस्था प्राचीन काल से ही अस्तित्व में है|  महात्मा गांधी जी का यह सपना था कि हर गांव में पंचायत राज विकसित हो इसलिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में राज्यों के पंचायत के गठन का निर्देश दिया गया है| आधुनिक भारत में स्वतंत्रता के पश्चात वर्ष 1957 में समुदाय विकास कार्यक्रम के कार्य कारण पर विचार करने हेतु बलवंत राय मेहता के अध्यक्ष में एक समीती का गठन किया गया| बलवंत राय मेहता समिति ने ग्राम स्तर, मध्यवर्ती स्तर एवं जिला स्तर पर त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का सुझाव दीया. वर्ष 1958 में राष्ट्रीय विकाष परिषद ने बलवंत राय मेहता की सिफारिशों को स्विकार किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडीत जवाहरलाल नेहरु द्वारा 2 अक्टूबर 1959 में राजस्थान के नागौर जिले में पहली त्रि-स्तरीय पंचायती राज की शुरुवात गई।

पंचायत राज में संबंधीत समितियां

स्वतंत्रता के बाद ग्रामीण भागों का विकास करने हेतु केंद्र सरकार ने विभिन्न कार्यक्रम चलाए| उन्हे ठीक तरह से अमल में लाने हेतु और समय-समय पर जरूरत पड़ने पर उनमें बद‌लाव करने केलीए केंद्र सरकार ने कुछ समितियों का गठन किया|

बलवंत राय मेहता समिति-1956

1952 के समुदाय विकास कार्यक्रम की असफलता की समीक्षा करणे हेतु 16 जनवरी 1957 में बलवंत राय मेहता समीती का गठन किया गया|  24 नवंबर 1957 में समिति ने अपना अहवाल प्रस्तुत किया और वर्ष 1958 राष्ट्रीय विकास परिषद ने समिति की सिफारिश को मंजूरी दी|

अशोक मेहता समिति -1977

इस समिति ने दो स्तरीय पंचायती राज का सुझाव दिया जिसमें ग्राम स्तर और जिला स्तर थे परंतु इस समिति के सुझाव को लागू नहीं किया गया|

राव समिति -1985

इस समिति ने अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिए आरक्षण की सिफारिश की|

एल.एम. सिंघवी समिति – 1986

सिंघवी समिति ने पंचायत को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और पुनर्गठन की सिफारिश की थी|

पी. के. थुंगन समिति -1987

पी. के. थुंगन समिति ने पंचायती राज व्यवस्था को अधिक बलशाली बनाने हेतु इसे वैधानिक दर्जा दिलाने की सिफारिश की, 1989 में राजीव गांधी द्वारा संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया, लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने की वजह से यह विधेयक पारित नहीं हुआ|

 गाडगिल समिति -1988

1988 में गाडगिल समिति की स्थापना हुई और इस समिति ने राज्य वित्त आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग की सिफारिश की थी|

73 वा और 74 वा संशोधन अधिनियम – 1992

महात्मा गांधी अपने को ग्राम वासी मानते थे और गांधी जी का मानना था कि अगर देश का विकास करना है तो पहले गांव का विकास होना जरूरी है, इसलिए गांधीजी के कल्पना के अनुसार संविधान के भाग-4 में नीति निर्देशक तत्व के अनुच्छेद 40 में पंचायत के गठन की व्यवस्था की गई है,  और फिर वर्ष 1992 में केंद्र सरकार द्वारा 73 वा और 74 वा संविधान संशोधन करके पंचायती राज व्यवस्था को 1993 में संवैधानिक दर्जा दिया गया|

   संशोधन  ग्रामिण  शहरी
विधेयक73 वा74 वा
वर्ष19921992
संवैधानिक दर्जा19931993
अनुच्छेद243- A से 243-O तक243- P से 243-ZG तक
भागभाग- 9भाग- 9 क
अनुसुची11 वी12 वी
विषय2918
स्तरत्रि-स्तरीयत्रि-स्तरीय
कार्यकाल5 वर्ष5 वर्ष
 ग्राम पंचायत, पंचा यत समिति, जिल्हा परिषदनगर पंचायत, नगर परिषद, नगर निगम,
मतदानप्रत्यक्ष प्रौढ मतदानप्रत्यक्ष प्रौढ मतदान
   

पंचायत राज व्यवस्था पर पूछे गए प्रश्न

प्रश्न. पंचायती राज व्यवस्था गठन संविधान के किस अनुच्छेद में दिया गया है?

उत्तर: अनुच्छेद 40 ( भाग – 4)

प्रश्न. बलवंत राय मेहता समिति किस वर्ष स्थापित की गई थी?

उत्तर: 16 जनवरी 1957

प्रश्न. अशोक मेहता समिति ने कितने स्तरीय पंचायत राज व्यवस्था का सुझाव दिया था?

उत्तर: दो स्तरीय पंचायत राज

प्रश्न. 73 वसंविधान संशोधन किस वर्ष लागू किया गया?

उत्तर: वर्ष 1993


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