Port Blair Renamed to Vijaya Puram | पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर विजयापुरम

Port Blair Renamed to Vijaya Puram | पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर विजयापुरम

Port Blair Renamed to Vijaya Puram | पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर विजयापुरम

जानिए क्यों बदला गया और क्या रखा गया अंडमान निकोबार की राजधानी का नाम

प्रस्तावना

भारत ने वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त कर ली थी, लेकिन देश की मानसिकता में अब भी कई जगह गुलामी की छाप बनी हुई थी। इसे मिटाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। हाल ही में अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजया पुरम रख दिया गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस परिवर्तन की जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शुक्रवार को साझा की। यह बदलाव भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक नई दिशा को दर्शाता है और हमारे पूर्वजों की याद में एक सम्माननीय पहल है।

Port Blair Renamed to Vijaya Puram | पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर विजयापुरम

किसके नाम पर था राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम ब्रिटिश नौसेना अधिकारी आर्चिबाल्ट ब्लेयर के नाम पर रखा गया था। आर्चिबाल्ट ब्लेयर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी थे, जिन्होंने 1789 में ईस्ट इंडिया कंपनी में नौसेना अधिकारी के रूप में अपनी सेवा शुरू की थी। 1700 के आसपास इस स्थान का नाम बदलकर पोर्ट ब्लेयर रखा गया था, लेकिन अब गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के लिए इसका नाम बदलकर श्री विजया पुरम कर दिया गया है।

औपनिवेशिक मानसिकता (Colonial Mindset) क्या है?

औपनिवेशिक मानसिकता एक ऐसी सोच है, जो किसी भी समाज में औपनिवेशिक काल के दौरान विकसित होती है। इसका मतलब है कि हम अपने देश की स्वतंत्रता और पहचान को सही तरीके से समझने में असमर्थ होते हैं। जैसे अंग्रेजों के समय में भारत में “डॉग्स एंड इंडियन्स नॉट अलाउड” जैसे बोर्ड लगे हुए थे, यह मानसिकता हमारी सोच को प्रभावित करती है। यही मानसिकता हमें विभाजित करती है और देश की प्रगति में बाधा डालती है। औपनिवेशिक मानसिकता से उबरने के लिए हमें अपनी सोच को बदलना होगा और स्वतंत्रता के असली महत्व को समझना होगा।

पोर्ट ब्लेयर का इतिहास

पोर्ट ब्लेयर का इतिहास बहुत ही रोचक और महत्वपूर्ण है। इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। रामायण काल में इस क्षेत्र को ‘हंदूमन’ के नाम से जाना जाता था। समय के साथ, इस क्षेत्र का नाम बदलता गया। ई.स 1300 के आसपास मार्कोपोलो ने इसे ‘अंगमेनियन’ नाम से वर्णित किया। इसके बाद, 1700 के दशक में ब्रिटिश अधिकारी आर्चिबाल्ट ब्लेयर के नाम पर इस क्षेत्र का नाम पोर्ट ब्लेयर रखा गया।

ब्रिटिश काल के दौरान, पोर्ट ब्लेयर में सेल्यूलर जेल (काला पानी की जेल) की स्थापना की गई थी। इस जेल को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाहीयों के लिए कड़ी सजा देने के लिए इस्तेमाल किया गया। यहाँ पर कई प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों को रखा गया था, जिनमें से 64 कैदियों को ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा हत्या कर दी गई थी।

महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस ने 1943 में पोर्ट ब्लेयर को आजाद हिंद की एक अनंतिम राजधानी घोषित किया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने यहाँ पर पहली बार तिरंगा फहराया था, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण पल था।

इसके अलावा, स्वतंत्रता सेनानी वी.डी. सावरकर को भी इसी सेल्यूलर जेल में रखा गया था। यहाँ रहते हुए, सावरकर ने अपनी प्रसिद्ध कविता “माझी जन्मठेप” लिखी थी। अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण स्थान है और इस क्षेत्र को चोल साम्राज्य के राजाओं ने भी अपना नौसैनिक अड्डा बनाया था।

नए नाम का महत्व

पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजया पुरम रखने का निर्णय एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहल है। यह बदलाव भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और स्वदेशी संस्कृति की ओर एक नई दिशा को दर्शाता है। श्री विजया पुरम नाम भारतीय सांस्कृतिक विरासत को सम्मानित करता है और गुलामी की मानसिकता को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

नाम बदलने का यह कदम केवल एक ऐतिहासिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान को मजबूत बनाने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परिवर्तन हमें हमारे पूर्वजों के संघर्ष और बलिदान की याद दिलाता है और हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

निष्कर्ष

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी का नाम बदलकर श्री विजया पुरम रखने की पहल भारतीय इतिहास और संस्कृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी और सम्मान को दर्शाती है। यह कदम केवल एक ऐतिहासिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह हमारे राष्ट्रीय आत्म-संमान और स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। इस बदलाव के माध्यम से हम अपने देश की स्वतंत्रता की ओर एक नई दिशा में आगे बढ़ सकते हैं और गुलामी की मानसिकता को समाप्त करने की दिशा में एक ठोस कदम उठा सकते हैं।

अंडमान निकोबार की राजधानी का नाम बदलने से जुड़े दिलचस्प तथ्य

  1. ब्रिटिश अधिकारी के नाम पर था पोर्ट ब्लेयर:
    अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम ब्रिटिश नौसेना अधिकारी आर्चिबाल्ट ब्लेयर के नाम पर रखा गया था। आर्चिबाल्ट ब्लेयर ने 1789 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में नौसेना अधिकारी के रूप में कार्य किया था। यह नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद अब बदलकर श्री विजया पुरम रखा गया है।
  2. रामायण काल से जुड़ी पहचान:
    पोर्ट ब्लेयर का उल्लेख प्राचीन भारतीय ग्रंथों में भी मिलता है। रामायण काल में इस क्षेत्र को ‘हंदूमन’ के नाम से जाना जाता था। यह नाम उस समय की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को दर्शाता है।
  3. मार्कोपोलो का वर्णन:
    प्रसिद्ध यात्री मार्कोपोलो ने ई.स. 1300 के आसपास इस क्षेत्र को ‘अंगमेनियन’ के नाम से वर्णित किया था। इसका मतलब है कि इस क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व प्राचीन समय से ही रहा है।
  4. सेल्यूलर जेल का काला इतिहास:
    ब्रिटिश काल में पोर्ट ब्लेयर में सेल्यूलर जेल की स्थापना की गई थी, जिसे ‘काला पानी’ के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर भारत के कई प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों को कैद किया गया था। यह जेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष की याद दिलाती है।
  5. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान:
    महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस ने 1943 में पोर्ट ब्लेयर को आजाद हिंद की अनंतिम राजधानी घोषित किया था। यहाँ पर उन्होंने पहली बार तिरंगा फहराया, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक पल था।
  6. वी.डी. सावरकर की कविता:
    स्वतंत्रता सेनानी वी.डी. सावरकर को भी सेल्यूलर जेल में रखा गया था। यहाँ रहते हुए, उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कविता “माझी जन्मठेप” लिखी थी। यह कविता उनके संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है।
  7. चोल साम्राज्य का नौसैनिक अड्डा:
    अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह को चोल साम्राज्य के राजाओं ने भी अपने नौसैनिक अड्डे के रूप में उपयोग किया था। यह दर्शाता है कि इस क्षेत्र का रणनीतिक महत्व इतिहास में भी रहा है।
  8. नाम परिवर्तन का सांस्कृतिक महत्व:
    पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजया पुरम रखना भारतीय सांस्कृतिक विरासत को सम्मानित करने और गुलामी की मानसिकता से मुक्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परिवर्तन हमारी सांस्कृतिक पहचान को मजबूती प्रदान करता है और स्वतंत्रता की ओर एक नई दिशा दिखाता है।

ये तथ्य न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह हमारे देश की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान को भी उजागर करते हैं। इस बदलाव के माध्यम से, हम अपने पूर्वजों की संघर्षपूर्ण विरासत को सम्मानित कर रहे हैं और एक नई दिशा की ओर बढ़ रहे हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

1. अंडमान निकोबार की राजधानी का नया नाम क्या है?

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी का नाम अब बदलकर श्री विजया पुरम रख दिया गया है। यह नाम पूर्व की राजधानी पोर्ट ब्लेयर की जगह लिया गया है।

2. पहले पोर्ट ब्लेयर का नाम किसके नाम पर था?

पोर्ट ब्लेयर का नाम ब्रिटिश नौसेना अधिकारी आर्चिबाल्ट ब्लेयर के नाम पर रखा गया था। आर्चिबाल्ट ब्लेयर ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में सेवा की थी।

3. नाम बदलने का कारण क्या है?

नाम बदलने का मुख्य उद्देश्य औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति और भारतीय सांस्कृतिक पहचान को सम्मानित करना है। यह कदम हमारे स्वतंत्रता संग्राम और सांस्कृतिक विरासत की ओर एक नई दिशा को दर्शाता है।

4. औपनिवेशिक मानसिकता क्या है?

औपनिवेशिक मानसिकता वह सोच है जो औपनिवेशिक काल के दौरान विकसित होती है, जिससे हम अपने देश की स्वतंत्रता और पहचान को सही तरीके से नहीं समझ पाते। यह मानसिकता हमें विभाजित करती है और देश की प्रगति में बाधा डालती है।

5. पोर्ट ब्लेयर का ऐतिहासिक महत्व क्या है?

पोर्ट ब्लेयर का इतिहास बहुत ही रोचक और महत्वपूर्ण है। इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है, और इसे रामायण काल में ‘हंदूमन’ के नाम से जाना जाता था। ब्रिटिश काल में यहाँ सेल्यूलर जेल की स्थापना की गई थी, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष की याद दिलाती है।

6. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का संबंध पोर्ट ब्लेयर से क्या था?

महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1943 में पोर्ट ब्लेयर को आजाद हिंद की अनंतिम राजधानी घोषित किया था। यहाँ उन्होंने पहली बार तिरंगा फहराया, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण पल था।

7. नाम बदलने के बाद श्री विजया पुरम का महत्व क्या है?

श्री विजया पुरम नाम भारतीय सांस्कृतिक विरासत को सम्मानित करता है और गुलामी की मानसिकता को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह बदलाव हमारी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान को मजबूत बनाने की दिशा में उठाया गया है।

8. इस नाम परिवर्तन के माध्यम से क्या संदेश दिया गया है?

इस नाम परिवर्तन के माध्यम से हमें हमारे पूर्वजों के संघर्ष और बलिदान की याद दिलाई गई है। यह कदम हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है और हमारे देश की स्वतंत्रता की ओर एक नई दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करता है।

9. क्या यह बदलाव केवल एक ऐतिहासिक पहल है या इसके और भी मायने हैं?

यह बदलाव केवल एक ऐतिहासिक पहल नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान को मजबूत बनाने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। यह हमें अपने स्वतंत्रता संग्राम की ओर एक नई दिशा में ले जाने का प्रतीक है।


यहां कुछ संबंधित पोस्ट के लिंक दिए गए हैं जो आपके लिए उपयोगी हो सकते हैं:

पोस्ट का शीर्षकलिंक
नवरात्रि 2024: तिथि, पूजा विधि और महत्वNavratri 2024
नागपुर के पास घूमने की शीर्ष जगहेंTop Tourist Spots Near Nagpur
हिंदी दिवस 2024: महत्व और इतिहासHindi Diwas 2024
सर एम. विश्वेश्वरैया: एक महान इंजीनियर की कहानीSir M. Visvesvaraya
इंजीनियर्स डे: इतिहास और महत्वEngineers’ Day
गांधी जयंती 2024: महात्मा गांधी का जीवन और विचारGandhi Jayanti 2024
मुख्यमंत्री वयोश्री योजना 2024: वरिष्ठ नागरिकों के लिए योजनाएँMukhyamantri Vayoshri Yojana 2024
भारत की शीर्ष 10 मिठाइयाँTop 10 Sweets of India

नोट: इन लिंक पर जाकर आप संबंधित विषयों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

वाइल्डलाइफ नेस्ट (wildlifenest.com) – वन्यजीव प्रेमियों के लिए समर्पित एक अद्भुत वेबसाइट! यहां जानिए सांपों, तितलियों, स्तनधारियों और अन्य वन्यजीवों के बारे में रोचक और वैज्ञानिक जानकारी। वन्यजीवों की दुनिया को करीब से जानने के लिए आज ही विजिट करें वाइल्डलाइफ नेस्ट और अपने ज्ञान को विस्तार दें!