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ToggleSIR M VISVESVARAYA | सर एम. विश्वेश्वरैया: एक महान इंजीनियर और प्रशासक
विवरण | तिथि |
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जन्म तिथि | 15 सितंबर 1861 |
निधन तिथि | 14 अप्रैल 1962 |
प्रारंभिक जीवन
सर एम. विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक के कोलार जिले के छोटे से गांव मुद्देनहाली में हुआ था। उनका पूरा नाम मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया था। उनका परिवार अत्यंत धार्मिक और सादगीपूर्ण था। उनके पिता, श्रीनिवास शास्त्री, एक जाने-माने संस्कृत विद्वान और आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। उनकी माता, वेंकटलक्ष्मम्मा, एक धार्मिक महिला थीं जो अपने परिवार के प्रति समर्पित थीं। विश्वेश्वरैया की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई, जहां उन्होंने संस्कृत और अन्य विषयों की बुनियादी शिक्षा प्राप्त की।
बचपन से ही वह एक तेजस्वी और जिज्ञासु बालक थे। शिक्षा के प्रति उनका रुझान बचपन से ही था, लेकिन उनका जीवन आसान नहीं था। कम उम्र में ही उनके पिता का निधन हो गया, जिससे परिवार पर आर्थिक संकट आ गया। इस कठिन परिस्थिति के बावजूद, उनकी माता ने उन्हें शिक्षा की ओर प्रेरित किया। वे आगे की पढ़ाई के लिए बंगलोर गए, जहां उन्होंने सेंट्रल कॉलेज में दाखिला लिया। अपने मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने मैट्रिक परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया। इसके बाद, उन्होंने पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। उनकी इस उपलब्धि ने उनके जीवन की दिशा को तय कर दिया, और वे भारतीय इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम बन गए।
करियर
सर एम. विश्वेश्वरैया का करियर एक प्रेरणादायक कहानी है जिसमें उन्होंने न केवल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बल्कि प्रशासनिक सेवाओं में भी अद्वितीय योगदान दिया। इंजीनियरिंग में उनकी प्रारंभिक नौकरी बॉम्बे सरकार के तहत एक सहायक इंजीनियर के रूप में शुरू हुई। यहां उन्होंने अपने तकनीकी कौशल और समस्याओं के समाधान में अपनी विशेषज्ञता से सभी को प्रभावित किया। उनके काम करने का तरीका इतना प्रभावशाली था कि जल्द ही वे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में शामिल हो गए।
उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्हें पुणे में खडकवासला जलाशय योजना में योगदान देने का अवसर मिला। इस परियोजना में उनकी भूमिका ने उन्हें एक कुशल और नवाचारी इंजीनियर के रूप में स्थापित किया। इसके बाद, माईसूर राज्य में उनकी सेवाएं और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गईं, जहां उन्होंने सिंचाई और जल संरक्षण के लिए कई परियोजनाओं का नेतृत्व किया। उनके करियर का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह था कि उन्होंने अपनी तकनीकी विशेषज्ञता को सामाजिक और आर्थिक विकास के साथ जोड़कर काम किया। उन्होंने न केवल तकनीकी समस्याओं का समाधान किया, बल्कि समाज की बेहतरी के लिए भी अपने प्रयासों को समर्पित किया।
इंजीनियरिंग करियर
सर एम. विश्वेश्वरैया के इंजीनियरिंग करियर की बात की जाए तो यह उपलब्धियों और नवाचारों से भरा हुआ है। उनके सबसे प्रसिद्ध कार्यों में से एक कर्नाटक के मांड्या जिले में कृष्णराज सागर बांध (KRS) का निर्माण है। यह बांध उस समय की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजनाओं में से एक थी और इसे जल संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण संरचना माना जाता है। इसके निर्माण में उन्होंने जो तकनीकी सूझबूझ और कौशल दिखाया, वह अद्वितीय था। इस परियोजना ने उन्हें न केवल एक कुशल इंजीनियर के रूप में स्थापित किया, बल्कि समाज के लिए उनके योगदान को भी उजागर किया।
उन्होंने न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी अपनी इंजीनियरिंग क्षमताओं का लोहा मनवाया। पुणे में उन्होंने स्वत: समायोजित होने वाले गेट्स का आविष्कार किया, जिसे ‘विश्वेश्वरैया गेट्स’ के नाम से जाना जाता है। इन गेट्स ने जल प्रबंधन को एक नई दिशा दी और आज भी यह प्रणाली दुनिया भर में इस्तेमाल की जाती है। उनकी तकनीकी विशेषज्ञता और नवाचारों ने भारतीय इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक नई परिभाषा दी। उनके योगदान का प्रभाव इतना व्यापक था कि उन्हें ‘मॉडर्न इंजीनियरिंग के जनक’ के रूप में जाना जाता है।
प्रीमियरशिप
1912 में, सर एम. विश्वेश्वरैया को माईसूर राज्य का दीवान नियुक्त किया गया, जो उनके करियर का एक और महत्वपूर्ण पड़ाव था। इस पद पर रहते हुए उन्होंने माईसूर राज्य के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियां और सुधार लागू किए। उन्होंने इस पद पर 1918 तक सेवा दी और माईसूर को एक प्रगतिशील और आधुनिक राज्य बनाने में अहम भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में माईसूर राज्य में औद्योगिक विकास, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए।
उन्होंने माईसूर सोप फैक्ट्री, भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स, माईसूर विश्वविद्यालय, और बैंक ऑफ माईसूर जैसी संस्थाओं की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके प्रीमियरशिप के दौरान माईसूर राज्य को एक आदर्श राज्य के रूप में देखा जाने लगा, जहां शासन, विकास, और जनसेवा के उच्चतम मानदंड स्थापित किए गए थे। उनकी नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता ने माईसूर राज्य को एक नई पहचान दी, जिसे आज भी सम्मान और गर्व के साथ याद किया जाता है।
करियर टाइमलाइन
सर एम. विश्वेश्वरैया का करियर उनके जीवन के विभिन्न चरणों में उल्लेखनीय उपलब्धियों से भरा हुआ है। उनकी करियर टाइमलाइन को निम्नलिखित घटनाओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
वर्ष | घटना |
---|---|
1861 | जन्म |
1884 | सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की |
1909 | पुणे में खडकवासला जलाशय योजना में योगदान |
1912 | माईसूर के दीवान नियुक्त हुए |
1918 | दीवान के पद से सेवानिवृत्त |
1955 | भारत रत्न से सम्मानित हुए |
1962 | निधन |
पुरस्कार और सम्मान
सर एम. विश्वेश्वरैया को उनके असाधारण योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए। 1955 में, उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ प्रदान किया गया, जो उनकी सेवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मान्यता थी। इसके अलावा, उन्हें नाइट कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द इंडियन एम्पायर (KCIE) की उपाधि भी मिली, जो उनके वैश्विक स्तर पर सम्मानित होने का प्रमाण है।
उनके नाम पर कई संस्थान, सड़कें, और पुरस्कार स्थापित किए गए हैं, जो उनकी स्थायी विरासत को दर्शाते हैं। उनकी कृतियों और सेवाओं को सम्मानित करने के लिए कई कार्यक्रम और स्मारक भी बनाए गए हैं। उनकी तकनीकी विशेषज्ञता, सामाजिक सेवा, और देशभक्ति को सम्मानित करते हुए, उन्हें आज भी भारतीय समाज में एक प्रेरणास्रोत के रूप में देखा जाता है। उनके जीवन और कार्यों का प्रभाव आज भी महसूस किया जाता है और उन्हें भारतीय इंजीनियरिंग और प्रशासन के क्षेत्र में एक आदर्श के रूप में सम्मानित किया जाता है।
मान्यता
सर एम. विश्वेश्वरैया को केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त हुई। उनकी तकनीकी क्षमताओं और नेतृत्व गुणों की सराहना दुनिया भर में की गई। उन्होंने न केवल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नवाचार किए, बल्कि समाज के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके योगदानों के लिए उन्हें ‘मॉडर्न इंजीनियरिंग के जनक’ के रूप में जाना जाता है।
उनके नाम पर आज भी कई संस्थान और पुरस्कार दिए जाते हैं, जो उनकी स्थायी विरासत को जीवित रखते हैं। उनकी कृतियों और सेवाओं के लिए उन्हें विभिन्न मंचों पर सम्मानित किया गया है। उनके विचार और सिद्धांत आज भी विकासशील देशों के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं। उनके नाम पर कई सड़कें, कॉलेज, और संस्थान नामित किए गए हैं, जो उनकी स्थायी विरासत को दर्शाते हैं और उनकी अद्वितीयता को सम्मानित करते हैं।
निधन
सर एम. विश्वेश्वरैया का निधन 14 अप्रैल 1962 को हुआ। वे 101 वर्ष की आयु में इस दुनिया से विदा हुए। उनका जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा थी, जिसने भारतीय समाज और तकनीकी जगत में अद्वितीय योगदान दिया। उनके निधन के बाद, उनकी याद में कई स्मारक और संस्थाएं स्थापित की गईं, जो उनके महान कार्यों और विचारों को जीवित रखने का प्रयास करती हैं।
उनके निधन के बाद, भारत ने एक महान व्यक्तित्व को खो दिया, जिसने अपने जीवन के हर क्षण को समाज और देश की सेवा के लिए समर्पित किया था। उनका जीवन और उनके कार्य आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। उनका निधन भारतीय समाज के लिए एक बड़ी क्षति थी, लेकिन उनके विचार और सिद्धांत आज भी जीवित हैं और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं।
मुद्देनहाली में स्मारक
सर एम. विश्वेश्वरैया की याद में उनके पैतृक गांव मुद्देनहाली में एक भव्य स्मारक बनाया गया है। यह स्मारक उनके जीवन और कार्यों को सम्मानित करता है और उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का प्रयास करता है। स्मारक में उनकी मूर्ति और उनके द्वारा किए गए कार्यों का विवरण शामिल है, जो लोगों को प्रेरित करता है।
कृतियाँ
सर एम. विश्वेश्वरैया ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण कृतियाँ लिखी हैं। उनकी पुस्तकों में ‘Reconstructing India’ और ‘Planned Economy for India’ प्रमुख हैं। इन पुस्तकों में उन्होंने भारत के विकास और प्रगति के लिए अपनी विचारधारा और दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया है। उनकी कृतियाँ आज भी विकासशील देशों के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती हैं।
विश्वेश्वरैया जयंती 2024 से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: विश्वेश्वरैया जयंती कब मनाई जाती है?
उत्तर: विश्वेश्वरैया जयंती हर वर्ष 15 सितंबर को मनाई जाती है। यह दिन महान भारतीय इंजीनियर और प्रशासक सर एम. विश्वेश्वरैया की जन्मतिथि के रूप में मनाया जाता है, जो भारतीय इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपने अमूल्य योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न 2: विश्वेश्वरैया जयंती को ‘इंजीनियर्स डे’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर: सर एम. विश्वेश्वरैया को भारतीय इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए जाना जाता है। उनकी जयंती, 15 सितंबर, को पूरे भारत में ‘इंजीनियर्स डे’ के रूप में मनाया जाता है ताकि उनकी महानता और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनकी सेवाओं को सम्मानित किया जा सके।
प्रश्न 3: सर एम. विश्वेश्वरैया कौन थे?
उत्तर: सर एम. विश्वेश्वरैया एक महान भारतीय इंजीनियर, राजनेता, और माईसूर राज्य के दीवान थे। उनका जन्म 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक के कोलार जिले में हुआ था। उन्होंने कई प्रमुख परियोजनाओं में योगदान दिया और 1955 में उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
प्रश्न 4: सर एम. विश्वेश्वरैया को भारत रत्न कब मिला?
उत्तर: सर एम. विश्वेश्वरैया को 1955 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उन्हें उनके असाधारण योगदान और सेवाओं के लिए प्रदान किया गया था।
प्रश्न 5: सर एम. विश्वेश्वरैया का सबसे प्रमुख योगदान क्या है?
उत्तर: सर एम. विश्वेश्वरैया का सबसे प्रमुख योगदान कृष्णराज सागर बांध (KRS) है, जिसे उन्होंने माईसूर राज्य में कावेरी नदी पर बनवाया। यह बांध आज भी जल संरक्षण और सिंचाई के लिए एक महत्वपूर्ण संरचना है।
प्रश्न 6: VNIT नागपुर क्या है और इसका सर एम. विश्वेश्वरैया से क्या संबंध है?
उत्तर: VNIT नागपुर, यानी ‘विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान’, नागपुर, एक प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज है, जिसे सर एम. विश्वेश्वरैया की प्रेरणा से स्थापित किया गया था। यह संस्थान उनके नाम पर रखा गया और आज भी भारतीय इंजीनियरिंग शिक्षा में एक प्रमुख स्थान रखता है।
प्रश्न 7: विश्वेश्वरैया जयंती कैसे मनाई जाती है?
उत्तर: विश्वेश्वरैया जयंती को ‘इंजीनियर्स डे’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न कार्यक्रम, संगोष्ठियाँ, और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं, जहाँ इंजीनियरिंग क्षेत्र में सर एम. विश्वेश्वरैया के योगदान को याद किया जाता है और युवाओं को प्रेरित किया जाता है।
प्रश्न 8: सर एम. विश्वेश्वरैया की प्रेरक कहानियाँ कौन सी हैं?
उत्तर: सर एम. विश्वेश्वरैया के जीवन से जुड़ी कई प्रेरक कहानियाँ हैं, जैसे कि उन्होंने कभी भी सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं उठाया और अपने जीवन के अंत तक काम करते रहे। उनकी सादगी और कर्मठता का उदाहरण आज भी प्रेरणादायक है।
प्रश्न 9: सर एम. विश्वेश्वरैया का जीवन दर्शन क्या था?
उत्तर: सर एम. विश्वेश्वरैया का जीवन दर्शन सादगी, अनुशासन, और निष्ठा पर आधारित था। उन्होंने अपने जीवन को समाज सेवा और देश की प्रगति के लिए समर्पित किया, और उनके विचार और कार्य आज भी प्रेरणादायक हैं।
प्रश्न 10: इंजीनियर्स डे का महत्व क्या है?
उत्तर: इंजीनियर्स डे का महत्व यह है कि इस दिन हम सर एम. विश्वेश्वरैया के योगदानों को याद करते हैं और भारतीय इंजीनियरों के प्रति आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने देश की तकनीकी प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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