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ToggleDiwali Puja Vidhi & Aarti Collection | दिवाली पूजा विधि , आरती संग्रह
दिवाली का पर्व विशेष रूप से माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का दिन होता है। यह पर्व समृद्धि, खुशहाली और सफलता का प्रतीक है। दिवाली के दिन विधि-विधान से लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
दिवाली पूजा की सामग्री:
- गणेश और लक्ष्मी की मूर्ति
- चांदी या तांबे का सिक्का
- जल से भरा कलश
- लाल और पीला वस्त्र
- चावल, फूल, धूप, दीपक
- सुपारी, पान, हल्दी, कुमकुम
- मिठाई, नारियल और भोग सामग्री
पूजा विधि:
- सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करके उसे सजाएं।
- एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और उस पर गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों को स्थापित करें।
- मूर्तियों को गंगाजल से शुद्ध करें और उन्हें वस्त्र पहनाएं।
- मूर्तियों के सामने एक जल से भरा कलश रखें, और उस पर सुपारी रखें।
- अब पूजा की थाली में धूप, दीप जलाकर गणेश-लक्ष्मी की आराधना करें।
- श्री गणेश से पूजा की शुरुआत करें, क्योंकि उन्हें विघ्नहर्ता माना जाता है।
- इसके बाद माँ लक्ष्मी की पूजा करें। उनकी चरणों में फूल चढ़ाएं, कुमकुम लगाएं और उन्हें मिठाई का भोग लगाएं।
- अंत में दीपों से आरती करें और आरती के बाद प्रसाद सभी में बांटें।
दिवाली आरती
श्री लक्ष्मी माता की आरती
जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
जय लक्ष्मी माता…
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जगमाता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
जय लक्ष्मी माता…
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि पाता॥
जय लक्ष्मी माता…
तुम पाताल-निवासिनी, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भव-निधि की त्राता॥
जय लक्ष्मी माता…
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
जय लक्ष्मी माता…
श्री गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा…
एकदंत, दयावंत, चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा…
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा…
पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा…
श्री सरस्वती माता की आरती
जय सरस्वती माता, जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
जय सरस्वती माता…
चंद्रवदानी, पद्मासिनी, दयावंत सदा तुम।
वेणु, पुस्तक, माला, श्वेत कमल पर विराजती॥
जय सरस्वती माता…
श्वेतांबर धारी, श्वेत कमल पर विराजित।
मानवता की शक्ति और विद्या प्रदान करतीं॥
जय सरस्वती माता…
श्री हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनी पुत्र महा बलदाई।
संतन के प्रभु सदा सहाई॥
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
बजरंगी बलवान महाबली,
सदा संकटों से रक्षा करने वाले हनुमान जी की आरती के साथ उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
कुबेर जी की आरती
जय कुबेर जगत के राजा।
धन संपत्ति के तुम हो दाता॥
जो कोई तुमको सुमिरन करता।
कभी न वह दरिद्रता सहता॥
हे महाराज कुबेर भगवाना।
सदा करो भक्तों का कल्याणा॥
आपका आशीर्वाद सदा बना रहे।
जय कुबेर महाराज॥
दिवाली आरती का महत्त्व
दिवाली पर की गई आरती हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाती है। माँ लक्ष्मी, गणेशजी, सरस्वती माता और हनुमानजी की आराधना से हर दिशा में सकारात्मकता का संचार होता है। इस दिवाली, पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ आरती करें और अपने जीवन में प्रकाश और समृद्धि का स्वागत करें।
आरती के बाद:
- आरती पूरी होने के बाद भगवान को प्रणाम करें।
- घर के सभी लोगों को प्रसाद और आशीर्वाद वितरित करें।
- दीपक जलाकर घर के सभी कोनों में रखें ताकि हर दिशा में रोशनी फैले और सकारात्मकता का संचार हो।
दिवाली के दिन की गई पूजा और आरती हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और खुशियों का संचार करती है। माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा से घर में हमेशा धन, वैभव और समृद्धि बनी रहती है।
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