Marathi Rajbhasha Diwas 2025 | मराठी राजभाषा दिवस 2025: वि. वा. शिरवाडकर (कुसुमाग्रज) जयंती

Marathi Rajbhasha Diwas 2025 | मराठी राजभाषा दिवस 2025

Marathi Rajbhasha Diwas 2025 | मराठी राजभाषा दिवस 2025: वि. वा. शिरवाडकर (कुसुमाग्रज) जयंती

परिचय

प्रसिद्ध मराठी कवि और साहित्यकार विष्णु वामन शिरवाडकर (कुसुमाग्रज) की जयंती के अवसर पर हर साल 27 फरवरी को मराठी राजभाषा दिवस” मनाया जाता है। यह दिन मराठी भाषा और संस्कृति के महत्व को दर्शाने के लिए समर्पित है। 2025 में यह दिवस विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह महाराष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर को और अधिक समृद्ध करने का अवसर प्रदान करेगा। 2025 में मराठी राजभाषा दिवस का 26वां संस्करण मनाया जा रहा है।


Marathi Rajbhasha Diwas 2025 | मराठी राजभाषा दिवस 2025: वि. वा. शिरवाडकर (कुसुमाग्रज) जयंती

मराठी राजभाषा दिवस 2025 का उद्देश्य

मराठी राजभाषा दिवस 2025 का मुख्य उद्देश्य लोगों को अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति जागरूक बनाना है। 2025 में विष्णु वामन शिरवाडकर (कुसुमाग्रज) की 113 वीं  जयंती मनाई जा रहा है। इस दिन को मनाने के पीछे कई उद्देश्य हैं।

1 ) मराठी भाषा का प्रचार-प्रसार : नई पीढ़ी को मराठी भाषा के महत्व से अवगत कराना।

2 ) साहित्यिक योगदान का सम्मान : मराठी साहित्य, कविताओं और लेखन को बढ़ावा देना।

3 ) संस्कृति का संरक्षण : लोककला, नाटक और मराठी फिल्मों को बढ़ावा देना।

4 ) भाषाई एकता : महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में मराठी भाषा बोलने वालों को एक मंच पर लाना।

5 ) मराठी भाषा का संवर्धन : मराठी भाषा को समृद्ध बनाना और इसे आधुनिक युग में प्रासंगिक बनाए रखना।

6 ) राजकीय और शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता बढ़ाना : सरकारी कार्यालयों, विद्यालयों और महाविद्यालयों में मराठी भाषा के उपयोग को प्राथमिकता देना।

मराठी भाषा का महत्व

मराठी भाषा महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान का प्रतीक है। यह भारत के प्रमुख भाषाओं में से एक है, जो महाराष्ट्र की आधिकारिक भाषा होने के साथ-साथ गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और गुजरात के कुछ हिस्सों में भी बोली जाती है। यह भाषा न केवल संवाद का माध्यम है, बल्कि इसमें समृद्ध साहित्य, इतिहास और लोककथाओं का खजाना भी मौजूद है।

मराठी भाषा का योगदान साहित्य, रंगमंच, सिनेमा और संगीत में महत्वपूर्ण रहा है। संत ज्ञानेश्वर, तुकाराम, कुसुमाग्रज और पु. ल. देशपांडे जैसे साहित्यकारों ने इसे समृद्ध किया है।

मराठी भाषा के संरक्षण के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा किए गए प्रयास

मराठी भाषा की संरक्षण औरबढ़ावा देने के लिएमहाराष्ट्र सरकार ने 19 फरवरी 2023 कोमराठा साम्राज्य के संस्थापक श्री छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के अवसर पर लेखक राजा बढे द्वारा ‘जय जय महाराष्ट्र माझा’ नामक गीत को महाराष्ट्र का राज्य गीत लागू घोषित किया। और महाराष्ट्र के कई सरकारी कार्यालयों में मराठी भाषा को अनिवार्य कर दिया गया है।

मराठी राजभाषा दिवस 2025 के आयोजन

हर साल इस दिन को अलग-अलग संस्थानों, स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में विभिन्न कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं के साथ मनाया जाता है। हर साल की तरह 2025 में भी कई कार्यक्रम आयोजन किए जाएंगे।

1 ) साहित्यिक सम्मेलन और सेमिनार : मराठी साहित्य और भाषा पर आधारित सेमिनारों का आयोजन किया जाता है, जहां विद्वान, लेखक और साहित्य प्रेमी मराठी भाषा के विकास पर चर्चा करते हैं।

2 ) कवि सम्मेलन और काव्य पाठ : मराठी कवियों द्वारा उनकी रचनाओं का पाठ किया जाता है, जिससे मराठी साहित्य को बढ़ावा मिलता है।

3 ) मराठी नाट्य और संगीत कार्यक्रम : मराठी नाटक और लोकसंगीत को प्रोत्साहित करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

4 ) निबंध और भाषण प्रतियोगिताएं : महाराष्ट्र के कई विद्यालयों और महाविद्यालयों में निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिताएं, वाद-विवाद और क्विज़ आयोजित की जाती हैं, जिससे विद्यार्थियों में मराठी भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ती है।

5 ) पुरस्कार और सम्मान समारोह : मराठी भाषा और साहित्य में उत्कृष्ट योगदान देने वाले लेखकों, कवियों और कलाकारों को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है।

6 ) डिजिटल और सोशल मीडिया अभियान : आधुनिक युग में मराठी भाषा को डिजिटल माध्यमों पर बढ़ावा देने के लिए ब्लॉगिंग, यूट्यूब चैनल, पॉडकास्ट, ई-बुक्स और ऑडियोबुक्स जैसी कई डिजिटल तथा सोशल मीडिया गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाता है।

7 ) पुस्तक प्रदर्शनियां : मराठी साहित्य और ऐतिहासिक ग्रंथों की प्रदर्शनी की जाती है।

मराठी राजभाषा दिवस की शुरुआत

मराठी राजभाषा दिवस को पहली बार 1999 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से मनाने की घोषणा की गई थी। इसे 27 फरवरी को प्रसिद्ध मराठी कवि और लेखक विष्णु वामन शिरवाडकर (कुसुमाग्रज) के जन्मदिन के अवसर पर मनाने का निर्णय लिया गया। कुसुमाग्रज ने मराठी भाषा और साहित्य को समृद्ध किया और इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।

मराठी भाषा का इतिहास

मराठी भाषा से संबंधित बहोत से पुरावे 8वीं-9वीं शताब्दी में पाए जाते हैं, और यह इंडो-आर्यन भाषा समूह का हिस्सा है। इसकी उत्पत्ति महाराष्ट्र प्राकृत से हुई है, और यह देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। इस लिए इस भाषा को ‘देवनागरी लिपि’ या ‘बाळबोध लिपी’ भी कहते हैं। मराठी साहित्य का विकास कई महान संतों और साहित्यकारों के योगदान से हुआ है। जिनमे, संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम, संत नामदेव, और अन्य महान संतों के योगदान से हुआ है। संत ज्ञानेश्वर द्वारा रचित ज्ञानेश्वरी मराठी साहित्य की अमूल्य धरोहर है।


मराठी राजभाषा संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न

1 ) मराठी राजभाषा दिवस कब और क्यों मनाया जाता है ?

उत्तर : प्रसिद्ध मराठी कवि और साहित्यकार विष्णु वामन शिरवाडकर (कुसुमाग्रज) की जयंती के अवसर पर हर साल 27 फरवरी को “मराठी राजभाषा दिवस” मनाया जाता है।

2 ) मराठी राजभाषा दिवस पहली बार कब मनाया गया था ?

उत्तर : मराठी राजभाषा दिवस को पहली बार महाराष्ट्र सरकार द्वारा 27 फरवरी 1999 में आधिकारिक रूप से मनाने की घोषणा की गई थी।

3 ) वर्ष 2025 में मराठी राजभाषा दिवस का कौन सा संस्करण है ?

उत्तर : वर्ष 2025 में मराठी राजभाषा दिवस का 26वां संस्करण मनाया जा रहा है।


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