North Sentinel: The Worlds Last Forbidden Island! | नॉर्थ सेंटिनल द्वीप: एक रहस्यमयी और दुनिया से विभिन्न द्वीप की कहानी

North Sentinel The Worlds Last Forbidden Island! | नॉर्थ सेंटिनल द्वीप: एक रहस्यमयी और दुनिया से विभिन्न द्वीप की कहानी

North Sentinel The Worlds Last Forbidden Island! | नॉर्थ सेंटिनल द्वीप: एक रहस्यमयी और दुनिया से विभिन्न द्वीप की कहानी

नॉर्थ सेंटिनल द्वीप, भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का एक हिस्सा है, जो बंगाल की खाड़ी में स्थित है। यह द्वीप पूरी दुनिया में अपनी रहस्यमयी जनजाति (सेंटिनेली जनजाति) के लोगों के कारण जाना जाता है, जो आज भी बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटी हुई और स्वायत्त है। उनका बाहरी दुनिया से किसी भी प्रकार का कोई भी संपर्क नहीं है।

भौगोलिक स्थिति

स्थान: पश्चिम अंडमान द्वीप से लगभग 50 किमी दूर

क्षेत्रफल: लगभग 59.67 वर्ग किलोमीटर

प्राकृतिक संरचना: घने जंगल, रेतीले तट और मूंगे की चट्टानें

यह द्वीप समुद्री लहरों और उष्णकटिबंधीय जलवायु के प्रभाव में विकसित हुआ है, और इसकी जैव विविधता लगभग अछूती है।


North Sentinel: The Worlds Last Forbidden Island! | नॉर्थ सेंटिनल द्वीप: एक रहस्यमयी और दुनिया से विभिन्न द्वीप की कहानी

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सेंटिनेली जनजाति: एक जीवित सभ्यता

सेंटिनेली लोग दुनिया की सबसे अलग-थलग और रहस्यमयी जनजातियों में से एक हैं। माना जाता है कि ये लोग लगभग 60,000 वर्षों से इस द्वीप पर निवास कर रहे हैं।

संख्या: इस द्विप की अनुमानित जनसंख्या लगभग 100 से 150 के बीच है।

भाषा: सेंटिनेलीज़ भाषा

रहन-सहन: शिकारी-संग्रहकर्ता; मछलियों, फल और वनस्पतियों पर निर्भर

बाहरी संपर्क: अत्यंत सीमित और प्रायः शत्रुतापूर्ण

ऐतिहासिक घटनाएँ और संपर्क प्रयास

19वीं सदी: ब्रिटिश खोजकर्ताओं ने कुछ प्रयास किए, लेकिन जल्द ही पीछे हट गए।

1970–1990: भारत सरकार द्वारा कुछ शांतिपूर्ण संपर्कों की कोशिशें की गईं।

2006 और 2018: बाहरी व्यक्तियों की मौत की घटनाओं के बाद स्पष्ट हो गया कि यह समुदाय किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता।

2004 सुनामी में संपर्क : वर्ष 2004 में जब सुनामी आई थी हिंद महासागर में तब भारतीय सरकार ने संपर्क बनाने की कोशिश की, और एक हेलीकॉप्टर भेजा थाकी सब कुछ ठीक है या नहीं परंतु जैसे उन्होंने हेलीकॉप्टर को उस पर तीर मारना शुरू कर दिया।

कानूनी संरक्षण और नीति

भारत सरकार ने नॉर्थ सेंटिनल द्वीप को “प्रतिबंधित क्षेत्र” घोषित किया है।

सेंटिनल जनजाति के लोगों की घटती जनसंख्या को देखते हुए और उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए संक्रमण के खतरे को रोकने के लिए इस द्विप पर अनुमति के बिना प्रवेश वर्जित है।

जनजाति अधिनियम और वन अधिकार कानून के तहत पूर्ण सुरक्षा प्राप्त

संक्रमण के खतरे को देखते हुए, उनके संपर्क को रोकना मानवता की दृष्टि से भी अनिवार्य है।

सांस्कृतिक और मानवशास्त्रीय महत्त्व

सेंटिनेली समाज एक जीवित प्रागैतिहासिक संस्कृति का उदाहरण है। यह आधुनिक सभ्यता के प्रभाव से मुक्त रहते हुए यह दर्शाता है कि मनुष्य प्राकृतिक साधनों पर निर्भर रहकर भी जीवित रह सकता है।

नैतिक और वैश्विक दृष्टिकोण

यह द्वीप दुनिया को याद दिलाता है कि सभ्यता का अर्थ हमेशा संपर्क नहीं होता।

नॉर्थ सेंटिनल यह दर्शाता है कि कभी-कभी “अलग रहना ही अस्तित्व की कुंजी” होता है।

आज की तारीख में यह सांस्कृतिक स्वतंत्रता का प्रतीक बन चुका है।


नॉर्थ सेंटिनल द्वीप संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1: नॉर्थ सेंटिनल द्वीप कहाँ स्थित है और इसे इतना खास क्यों माना जाता है?

उत्तर: नॉर्थ सेंटिनल द्वीप भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में, बंगाल की खाड़ी में स्थित है। यह द्वीप इसलिए खास है क्योंकि यहां की सेंटिनेली जनजाति आज भी बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटी हुई है और आधुनिक सभ्यता से कोई संपर्क नहीं रखती।

प्रश्न 2: इस द्वीप का क्षेत्रफल कितना है और इसकी भौगोलिक संरचना कैसी है?

उत्तर: इस द्वीप का क्षेत्रफल लगभग 59.67 वर्ग किलोमीटर है। यह घने जंगलों, रेतीले समुद्री तटों और मूंगे की चट्टानों से घिरा हुआ है, और इसकी जैव विविधता लगभग अछूती है।

प्रश्न 3: सेंटिनेली जनजाति किन बातों के लिए जानी जाती है?

उत्तर: सेंटिनेली जनजाति अपने स्वायत्त जीवन, बाहरी दुनिया से दूरी, और हजारों वर्षों से अनछुए सांस्कृतिक अस्तित्व के लिए जानी जाती है। वे शिकारी-संग्रहकर्ता हैं और पूरी तरह जंगल, समुद्र और प्रकृति पर निर्भर रहते हैं।

प्रश्न 4: क्या इस द्वीप पर बाहरी लोगों ने संपर्क साधने की कोशिश की है?

उत्तर: हाँ, 19वीं सदी में ब्रिटिश और बाद में भारत सरकार ने संपर्क के प्रयास किए। 1970–1990 के बीच कुछ शांतिपूर्ण प्रयास हुए, लेकिन 2006 और 2018 में बाहरी व्यक्तियों की मौत के बाद स्पष्ट हो गया कि यह जनजाति किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को अस्वीकार करती है।

प्रश्न 5: भारत सरकार द्वारा इस द्वीप को कौन-कौन से कानूनी संरक्षण प्राप्त हैं?

उत्तर: भारत सरकार ने इसे “प्रतिबंधित क्षेत्र” घोषित किया है। यहां बिना अनुमति प्रवेश करना गैरकानूनी है। इसे जनजाति अधिनियम और वन अधिकार कानून के अंतर्गत पूरी सुरक्षा प्रदान की गई है।

प्रश्न 6: सेंटिनेली जनजाति का वैज्ञानिक और मानवशास्त्रीय महत्त्व क्या है?

उत्तर: यह जनजाति एक जीवित प्रागैतिहासिक संस्कृति का उदाहरण है। इनका अध्ययन मानव विकास, भाषा, संस्कृति और समाज के मूल स्वरूप को समझने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है, हालांकि उनका संपर्क करना नैतिक रूप से अनुचित माना जाता है।

प्रश्न 7: इस द्वीप से जुड़ी नैतिक जिम्मेदारियाँ क्या हैं?

उत्तर: इस द्वीप से जुड़ी सबसे बड़ी नैतिक जिम्मेदारी है इनकी स्वतंत्रता और सुरक्षा का सम्मान करना। बाहरी संपर्क उनके लिए जानलेवा बीमारियाँ ला सकता है, इसलिए इन्हें अकेला छोड़ना ही सबसे मानवीय निर्णय है।

प्रश्न 8: नॉर्थ सेंटिनल द्वीप हमें क्या सिखाता है?

उत्तर: यह द्वीप हमें सिखाता है कि सभ्यता का मतलब हर बार तकनीकी विकास नहीं होता। कभी-कभी अलग रहना ही अस्तित्व की कुंजी होता है। यह सांस्कृतिक विविधता और मानव स्वायत्तता का जीवंत प्रतीक है।


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