India Unveils Game-Changing EV Charger and Railway Tech! | स्वदेशी तकनीक से सशक्त होगा भारत: इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वायरलेस चार्जर और रेलवे प्रणोदन प्रणाली का हुआ व्यावसायीकरण

India Unveils Game-Changing EV Charger and Railway Tech! | स्वदेशी तकनीक से सशक्त होगा भारत: इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वायरलेस चार्जर और रेलवे प्रणोदन प्रणाली का हुआ व्यावसायीकरण

India Unveils Game-Changing EV Charger and Railway Tech! | स्वदेशी तकनीक से सशक्त होगा भारत: इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वायरलेस चार्जर और रेलवे प्रणोदन प्रणाली का हुआ व्यावसायीकरण

भारत में तकनीकी नवाचारों को नया आयाम देते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के उद्देश्यों को गति देने के लिए विद्युत इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में विकसित स्वदेशी तकनीकों को उद्योगों के हवाले किया है। यह पहल राष्ट्रीय विद्युत इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी मिशन (NaMPET) के अंतर्गत की गई है, जिसे सी-डैक, तिरुवनंतपुरम द्वारा संचालित किया जा रहा है।

इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वायरलेस चार्जर: 3 घंटे में 90% चार्ज

सी-डैक (T) और वीएनआईटी नागपुर द्वारा विकसित 1.5 किलोवाट का स्वदेशी वायरलेस चार्जर अब वास्तविकता का रूप ले चुका है। यह चार्जर 230V, 50Hz AC सिंगल-फेज सप्लाई पर काम करता है और 48V पर 30A करंट प्रदान करते हुए 4.8kWh ऑनबोर्ड बैटरी पैक को मात्र 3 घंटे में 90% तक चार्ज कर सकता है।

इसमें सिलिकॉन कार्बाइड-आधारित MOSFET तकनीक का उपयोग किया गया है, जो 88kHz पर कार्य करता है और इसमें शॉर्ट-सर्किट व ओपन-सर्किट सुरक्षा जैसी आधुनिक सुविधाएँ मौजूद हैं। 7.5 से 12.5 सेमी तक के कॉइल सेपरेशन पर यह तकनीक 89.4% तक की दक्षता प्राप्त करती है। इसका तकनीकी हस्तांतरण मेसर्स ग्लोबल बिजनेस सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को किया गया है।


India Unveils Game-Changing EV Charger and Railway Tech! | स्वदेशी तकनीक से सशक्त होगा भारत: इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वायरलेस चार्जर और रेलवे प्रणोदन प्रणाली का हुआ व्यावसायीकरण

रेलवे के लिए स्वदेशी प्रणोदन प्रणाली: 2030 तक पूर्ण विद्युतीकरण की ओर कदम

भारत के रेलवे नेटवर्क को पूर्णतः विद्युतीकृत करने के लक्ष्य के तहत सी-डैक, चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (CLW) और दो उद्योग भागीदारों – दौलत राम इंजीनियरिंग सर्विसेज (भोपाल) और जेएमवी एलपीएस लिमिटेड (नोएडा) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

यह स्वदेशी प्रणोदन प्रणाली दो 2.5 MVA ट्रैक्शन कन्वर्टर्स, तीन 130 kVA सहायक कन्वर्टर्स और एक अत्याधुनिक ट्रेन कंट्रोल एवं प्रबंधन प्रणाली (TCMS) को एकीकृत करती है। इसका उद्देश्य रेलवे इंजनों को अधिक शक्तिशाली, विश्वसनीय और लचीला बनाना है। इन साझेदारों की मदद से इसका परीक्षण, प्रोटोटाइप निर्माण और सफल फील्ड वेरिफिकेशन सुनिश्चित किया जाएगा।

केरल में 48V DC पर आधारित ऊर्जा कुशल भवन

ऊर्जा संरक्षण और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में, केरल विकास एवं नवाचार रणनीतिक परिषद (K-DISC) ने 48V लो वोल्टेज डायरेक्ट करंट (LVDC) प्रणाली को अपने मुख्यालय भवन में लागू किया है। इस प्रणाली का विकास सी-डैक ने NaMPET कार्यक्रम के अंतर्गत किया है।

यह तकनीक 20-30% तक ऊर्जा की बचत करने में सक्षम है और यह केरल को देश का पहला ऐसा राज्य बनाता है, जिसका कोई प्रशासनिक भवन पूर्णतः 48V DC से संचालित होता है। यह पहल राज्य के 2050 तक कार्बन न्यूट्रल बनने के रोडमैप में एक बड़ी उपलब्धि है और साथ ही भारत के व्यापक नेट जीरो 2070 विजन में योगदान दे सकता है।

NaMPET: पावर इलेक्ट्रॉनिक्स में आत्मनिर्भरता की ओर

NaMPET एक मिशन-मोड कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में अनुसंधान, विकास, परीक्षण, परिनियोजन और व्यावसायीकरण को बढ़ावा देना है। यह कार्यक्रम न केवल तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा देता है, बल्कि शिक्षा संस्थानों, स्टार्ट-अप्स और उद्योगों को एक साझा मंच भी प्रदान करता है।

NaMPET के तहत माइक्रोग्रिड, स्मार्ट पावर क्वालिटी, ई-मोबिलिटी, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि, स्वास्थ्य और हरित ऊर्जा जैसे कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी प्रौद्योगिकियाँ विकसित की जा रही हैं।

MeitY के सचिव श्री एस. कृष्णन ने इस अवसर पर कहा कि अनुसंधान को वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को आगे बढ़ाने के लिए बिजली इलेक्ट्रॉनिक्स में स्वदेशीकरण की आवश्यकता पर बल दिया।

यह कदम भारत को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक निर्णायक प्रयास है, जो आने वाले वर्षों में देश को वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित करेगा।


महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1: स्वदेशी वायरलेस चार्जर तकनीक को किस संस्थान ने विकसित किया है और इसकी प्रमुख विशेषता क्या है?

उत्तर: यह तकनीक सी-डैक (तिरुवनंतपुरम) और वीएनआईटी नागपुर ने मिलकर विकसित की है। इसकी प्रमुख विशेषता यह है कि यह 1.5 किलोवाट की शक्ति से 4.8kWh बैटरी को लगभग 3 घंटे में 90% तक चार्ज कर सकता है, और इसकी दक्षता 89.4% तक है।

प्रश्न 2: यह वायरलेस चार्जर किस तकनीक पर आधारित है और इसमें कौन-से सुरक्षा फीचर दिए गए हैं?

उत्तर: यह चार्जर सिलिकॉन कार्बाइड आधारित MOSFET तकनीक पर आधारित है, जो 88kHz की आवृत्ति पर कार्य करता है। इसमें शॉर्ट-सर्किट और ओपन-सर्किट से सुरक्षा के लिए उन्नत सुरक्षा फीचर्स शामिल हैं।

प्रश्न 3: रेलवे के लिए विकसित की जा रही स्वदेशी प्रणोदन प्रणाली में कौन-कौन से प्रमुख घटक शामिल हैं?

उत्तर: इस प्रणाली में दो 2.5 MVA ट्रैक्शन कन्वर्टर्स, तीन 130 kVA सहायक कन्वर्टर्स और एक अत्याधुनिक ट्रेन नियंत्रण एवं प्रबंधन प्रणाली (TCMS) शामिल है।

प्रश्न 4: भारतीय रेलवे की विद्युतीकरण योजना में यह स्वदेशी प्रणोदन प्रणाली किस तरह का योगदान देगी?

उत्तर: यह प्रणाली भारतीय रेलवे को 2030 तक पूर्ण विद्युतीकरण के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगी, जिससे रेलवे का संचालन अधिक कुशल, विश्वसनीय और पर्यावरण-अनुकूल बन सकेगा।

प्रश्न 5: NaMPET कार्यक्रम का उद्देश्य क्या है और इसे कौन संचालित करता है?

उत्तर:

NaMPET (National Mission on Power Electronics Technology) का उद्देश्य पावर इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक का विकास, परीक्षण, परिनियोजन और व्यावसायीकरण करना है। इसे C-DAC, तिरुवनंतपुरम द्वारा संचालित किया जा रहा है।

प्रश्न 6: केरल का कौन-सा भवन 48V DC प्रणाली पर आधारित भारत का पहला प्रशासनिक भवन बना है?

उत्तर: केरल विकास एवं नवाचार रणनीतिक परिषद (K-DISC) का मुख्यालय 48V लो वोल्टेज डायरेक्ट करंट प्रणाली पर आधारित भारत का पहला प्रशासनिक भवन बन गया है।

प्रश्न 7: K-DISC द्वारा लागू की गई LVDC प्रणाली का क्या लाभ है?

उत्तर: यह प्रणाली 20-30% तक ऊर्जा की बचत करती है और हरित ऊर्जा को प्रभावी रूप से एकीकृत करती है, जिससे यह केरल के 2050 तक कार्बन न्यूट्रल बनने के लक्ष्य में सहायक है।

प्रश्न 8: MeitY सचिव श्री एस. कृष्णन ने स्वदेशी तकनीक को लेकर क्या दृष्टिकोण प्रस्तुत किया?

उत्तर: उन्होंने अनुसंधान को उद्योग से जोड़ने, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बल देने तथा विद्युत इलेक्ट्रॉनिक्स में स्वदेशीकरण की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।


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