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ToggleChhatrapati Shivaji Maharaj’s Escape from Aurangzeb’s Prison! | जानें कि कैसे छत्रपती शिवाजी महाराज आगरा में औरंगजेब की कैद से बच निकले
शिवाजी महाराज का जीवन वीरता, साहस, रणनीति और कुशल नेतृत्व का प्रतीक है। स्वराज्य का विस्तार करते समय आदिलशाही के साथ-साथ मुगलों से संघर्ष भी अपरिहार्य था। जैसे ही स्वराज्य का विस्तार होने लगा, स्वराज्य पर मुगलों का संकट बढ़ता गया। शिवाजी महाराज ने इन खतरो को अपने चतुराई से पार कर लिया। उनकी अद्वितीय रणनीतियाँ और युद्ध कला उन्हें भारत के साथ-साथ, संपूर्ण विश्व में एक महान योद्धा के रूप में प्रतिष्ठित करते है।
यह लेख छत्रपती शिवाजी महाराज की उस घटना को समर्पित है जब मुघल सम्राट औरंगजेब बादशाह ने शिवाजी महाराज को धोके से बंदी बनाया था, शिवाजी महाराज ने अपने चातुर्य और साहस का प्रयोग करके औरंगजेब बादशाह की कैद से पलायन किया। यह घटना इतिहास में एक अद्वितीय और रोमांचक घटना के रूप में दर्ज है, जो हमें अपने उद्देश्यों के प्रति दृढ़ संकल्प और रणनीतिक सोच की महत्ता सिखाती है।
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शिवाजी महाराज और मुघल संघर्ष
शिवाजी महाराज के स्वराज की स्थापना के बाद स्वराज के बढ़ते कदम को रोकने के लिए मुघल सम्राट औरंगजेब बादशाह ने दक्षिण में शाइस्ताखाँ को भेजा। शिवाजी महाराज ने कुछ चयनीत सेनिको के साथ 5 अप्रैल 1663 को, रमज़ान के रात में शाइस्ताखाँ पर हमला किया, उस हमले में शाइस्ताखाँ की उँगलियाँ काट दी गईं। हमले के बाद औरंगजेब बादशाह ने शाइस्ताखाँ को बंगाल में भेज दिया।
शिवाजी महाराज ने स्वराज का विस्तार जारी रखा, शिवाजी महाराज ने 1664 में मुघलों के आर्थिक संपन्न शहर सुरत पर आक्रमण किया और मुघलों की बहोत सी संपत्ती लुट ली। इसका बदला लेने के लिए औरंगजेब बादशाह ने मिर्जा राजा जयसिंह और दिलेर खान को एक विशाल सेना के साथ दक्षिण में भेजा। छत्रपति शिवाजी महाराज ने समझदारी लेते हुए जनहानि से बचने के लिए जयसिंह से ‘पुरंदर की संधि’ की।
पुरंदर की संधि के बाद मिर्जा राजा जयसिंह के प्रस्ताव पर शिवाजी महाराज ने अपने पुत्र संभाजी के साथ सम्राट औरंगजेब के जन्म दिन के अवसर पर उनसे मिलने के लिए अपने कुछ विश्वसनीय साथियों के साथ आगरा के लिए निकल गए।
छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती 2025
आगरा यात्रा और औरंगजेब की चाल
मुघल सरदार मिर्जा राजा जयसिंह के साथ ‘पुरंदर की संधि’ के बाद शिवाजी महाराज पुत्र संभाजी के साथ औरंगजेब बादशाह से मिलने उनके आवास आगरा में पहुचे,
12 मई, 1666 को औरंगजेब के जन्मदिन के अवसर पर उनकी भेट हुई, परंतु औरंगजेब ने उन्हें दरबार में उचित सम्मान नहीं दिया। तब शिवाजी महाराज ने अपना गुस्सा जाहिर किया। इसके बाद बादशाह औरंगजेब ने धोखे से शिवाजी महाराज को कैद कर लिया, और नजरबंद कर दिया।
औरंगजेब की कैद से पलायन (मुक्ती) की योजना
बादशाह औरंगजेब द्वारा शिवरजी महाराज को नजरबंद करने के बाद उनके देखरेख की जिम्मेदारी मुघल सरदार रामसिंग को दी गई थी। फिर भी शिवाजी महाराज जरा भी घबराए नहीं, और औरंगजेब की कैद से आजाद होने की योजना बनाने पर ध्यान दिया। लेकिन औरंगजेब की कैद से भागना कोई सामान्य योजना नहीं थी। शिवाजी महाराज को अपनी योजना में पूरी सावधानी बरतनी थी।
शिवाजी महाराज ने अपने विश्वासपात्रों से संपर्क किया और एक चतुर योजना बनाई। उन्होंने खुद को बीमार और कमजोर दिखाया ताकि मुग़ल सैनिकों का ध्यान उनपर से हट सके और उन्हें महल से बाहर निकलने का अवसर मिल सके।
औरंगजेब की कैद से पलायन
शिवाजी महाराज के योजना के अनुसार शिवाजी महाराज के सहयोगी महल में व्यापारियों और सेवक में छिप गए, और 19 अगस्त 1666 को छत्रपति शिवाजी महाराज अपने पुत्र संभाजी के साथ व्यापारियों के वस्त्रों और सामान में छिपाकर किले से बाहर निकल आए, औरंगजेब को धोका देने के लिए शिवाजी महाराज की जगह उनके सहयोगी “हिरोजी फर्जंद” औरंगजेब की कैद में रहे और शिवाजी महाराज के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।
आगरा की कैद से बाहर निकलने के बाद पुत्र संभाजी को मथुरा में रखकर महाराज भेष बदल कर सुरक्षित महाराष्ट्र लौट आये। बाद में राजकुमार संभाजी को भी सुरक्षित राजगढ़ लाया गया।
छत्रपति शिवाजी महाराज के हाथ से निकल जाने का दर्द बादशाह औरंगजेब कभी भी भूल नहीं सका।
छत्रपति शिवाजी महाराज की शौर्य गाथा और संघर्ष
महत्वपूर्ण प्रश्न
1 ) छत्रपती शिवाजी महाराज को औरंगजेब द्वारा धोखेसे कब कैद किया गया ?
उत्तर : 12 मई, 1666 को औरंगजेब के जन्मदिन के अवसर पर छत्रपती शिवाजी महाराज को धोखेसे कैद किया गया।
2 ) छत्रपती शिवाजी महाराज ने औरंगजेब के कैद से कब पलायन किया ?
उत्तर : 19 अगस्त 1666 को छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने पुत्र संभाजी के साथ व्यापारियों के वस्त्रों और सामान में छिपाकर आगरा किले से बाहर पलायन किया।
3 ) मुघल सम्राट औरंगजेब की कैद से छत्रपती शिवाजी महाराज के मुक्त होने के बाद शिवाजी महाराज की जगह किसने अपने प्राणो का बलिदान दिया ?
उत्तर : औरंगजेब को धोका देने के लिए शिवाजी महाराज की जगह उनके सहयोगी हिरोजी फर्जंद औरंगजेब की कैद में रहे और शिवाजी महाराज के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।
4 ) औरंगजेब द्वारा छत्रपती शिवाजी महाराज को आगरा किले में कैद करने के बाद उनके देखरेख की जिम्मेदारी किसको सौंपी गई ?
उत्तर : बादशाह औरंगजेब द्वारा शिवरजी महाराज को नजरबंद करने के बाद उनके देखरेख की जिम्मेदारी मुघल सरदार रामसिंग को दी गई थी।
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