Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025 | छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती 2025: मराठा साम्राज्य के महानायक की कहानी

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025 | छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती 2025

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025 | छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती 2025

छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास के उन महान राजाओं में से एक हैं, जिन्होंने अपने अद्भुत नेतृत्व, अद्वितीय पराक्रम, प्रशासनिक कुशलता और सहिस्नुता के बल पर अपना साम्राज्य स्थापित किया। शिवाजी महाराज ने न केवल सशक्त मराठा साम्राज्य की स्थापना की, बल्कि जनता में स्वातंत्रता के प्रती जागृति निर्माण कार्य किया।

शिवाजी महाराज एक दृढ संकल्पक राजा थे जिन्होंने मुघलों के बढ़ते अत्याचारों के विरुद्ध एक स्वराज्य की स्थापना की

हर साल, 19 फरवरी को संपूर्ण भारत में खास कर महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। 2025 में संपूर्ण भारत में छत्रपति शिवाजी महाराज की 395वीं जन्म वर्षगाँठ मनाई जा रही है। जिससे आनेवाली पीढ़ी को शिवाजी महाराज के मानवतावादी वीरतापूर्ण जिवन चरित्र से प्रेरणा मिल सके।

शिवाजी महाराज एक सच्चे मानवतावादी नेता थे, जो प्रतीदिन हर पल प्रजा के हित में उनके कल्याण का ही विचार किया करते थे।


Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025 | छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती 2025

छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रारंभिक जिवन

शाहजीराजे भोसले का विवाह दिसंबर, 1605 में लखुजी जाधव की 10 वर्ष की बेटी जीजाबाई से हुआ था। बाद में, 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले पर बाल शिवाजी का जन्म हुआ। जब बाल शिवाजी और जीजाबाई बैंगलोर में रह रहे थे, तब शहाजी राजा ने बाल शिवाजी की शिक्षा की व्यवस्था की। शिवाजी राजा को रामायण, महाभारत की कहानियों से परिचित कराया गया। मराठी, संस्कृत और फ़ारसी भाषा का ज्ञान दिया गया। घुड़सवारी, तलवारबाजी, दंडपट्टा, भाला फेंकना, कुश्ती आदि में उन्हे महारत हासिल थी। जीजाबाई में एक कुशल राजकर्ता के गुण थे। पुणे जहागिरी में शिवाजी महाराज को राजकाज की पहली शिक्षा जीजाबाई से मिली।

6 जून 1974 में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ, परंतु राज्याभिषेक के राज्याभिषेक के तुरंत बाद 17 जून, 1674 को माता जीजाबाई की मृत्यु हो गई।

माता जीजाबाई के मृत्यु के बाद शिवाजी महाराज ने 24 सितंबर 1674 को निश्चलपूरी गोसावी के मार्गदर्शन में तांत्रिक पद्धति से राज्याभिषेक करवाया।

ऐसे महान स्वराज्य के संस्थापक श्री छत्रपती शिवाजी महाराज का निधन 3 अप्रैल 1680 में रायगड किले में हुआ, और इस तरह मुघल और अदिलशाह से स्वराज्य की रक्षा करते हुए वह अमर हो गए।

स्वराज्य की स्थापना

शाहजी राजा ने पुणे-सुपे-चाकन-इंदापुर जहागिरी का प्रशासन जीजाबाई और बाल शिवाजी को सौंपा। जहागिरी का क्षेत्र शिवाजी राजा के नियंत्रण में था और जहागिरी के किले आदिलशाही के नियंत्रण में थे। इसलिए, क्षेत्र की रक्षा के लिए किलों पर कब्ज़ा करना आवश्यक था। पुणे आकर शिवाजी महाराज ने बारा मावल प्रांत (अंदरमावल, नानेमावल, पवनमावल, कोरबारसेमावल, पौड खोरे, मुथेखोर, मुसेखोर, गुंजनमावल, कनाडखोर, वरामवंदखोर, हिरदुस मावल और रोहिदखोर) पर कब्ज़ा कर लिया। मावल का सामान्य अर्थ शहाजी राजा के जहागिरी के पश्चिमी किनारे का पहाड़ी क्षेत्र है। शिवाजी महाराज ने इस क्षेत्र से दंगाइयों को भगा कर क्षेत्र में शांति और व्यवस्था स्थापित की। इससे रैयत के मन में शिवाजी महाराज के प्रति सम्मान और आत्मीयता की भावना पैदा हुई।

शिवाजी राज ने संभाजी कावजी, येसाजी कंक, बाजी पासलकर, तानाजी मालुसरे, बाजीप्रभु देशपांडे, जीवा महला, मदारी मेहतर, नेतोजी पालकर, बहिरजी नाइक, मुरारबाजी देशपांडे आदि के साथ मिलकर एक सेना बनाई, और रोहिडेश्वर के मंदिर में स्वराज्य स्थापित करने की शपथ ली। स्वराज की स्थापना के बाद  सन 1646 में तोरणा किला जीता, उसके बाद उन्होंने लगातार राजगढ़, कोंढाणा, पुरंदर जैसे महत्वपूर्ण किलों पर अपना अधिकार जमाया।

 और स्वराज का कारभार संभालते के लिए राजगढ़ किले को स्वराज की पहली राजधानी के रूप में घोषित किया।

रणनीतिक कौशल और नेतृत्व क्षमता

शिवाजी महाराज एक कुशल योद्धा और रणनीतिकार थे। जीजाबाई ने बचपन में ही शिवाजी महाराज के मन में धर्मपरायणता, स्वतंत्रता, चरित्र की अखंडता और स्वाभिमान के प्रती संस्कार दिए थे। उनकी “गणिमी कावा” (छापामार युद्धनीति) ने मुगलों और अन्य शक्तिशाली सेनाओं को कई बार पराजित किया। शिवाजी महाराज अपनी प्रजा को अपने परिवार की तरह मानते थे। वह अपनी सेना के दुख-सुख में भाग लेते और उनका मनोबल बढ़ाते।

सभी धर्म के लिए सहिष्णुता

शिवाजी महाराज जन्म से हिंदू धर्म के कट्टर अनुयायी थे, परंतु उन्होंने सभी धर्म के लोगो को समान रूप से आदर और सम्मान दिया। उन्होंने अपने शासन में मुस्लिम सैनिकों और अधिकारियों को भी महत्वपूर्ण पद दिए गए थे। वे मस्जिदों, चर्चों और गुरुद्वारों का भी सम्मान करते थे, उन्होंने युद्ध के दौरान कभी किसी धार्मिक स्थल को क्षति नहीं पहुंचाई। उन्होंने युद्ध में पराजित हुए सैनिको के परिवार के प्रती सहिष्णुता का आचरण किया, उन्हे किसी प्रकार की कोई भी प्रताळना नही दी। शिवाजी महाराज के मानवतावादी, धर्म और सहिष्णुता के कारण आज भी हर धर्म और समुदाय के लोग उनका सम्मान करते हैं।


महत्वपूर्ण प्रश्न

1 ) छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती कब मनाई जाती है ?

उत्तर : हर साल, 19 फरवरी को संपूर्ण भारत में खास कर महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।

2) 19 फरवरी 2025 को छत्रपति शिवाजी महाराज की कौन सी जयंती मनाई जा रही है ?

उत्तर : 19 फरवरी 2025 में संपूर्ण भारत में छत्रपति शिवाजी महाराज की 395वीं जन्म वर्षगाँठ मनाई जा रही है।

3 ) छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म कब और कंहा हुआ था ?

उत्तर : 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले पर बाल शिवाजी का जन्म हुआ।

4 ) स्वराज्य की स्थापना के बाद शिवाजी महाराज ने सबसे पहले कोनसा किला जिता था ?

उत्तर : शिवाजी महाराज द्वारा रोहिडेश्वर मंदिर में स्वराज की स्थापना के बाद सन 1646 में तोरणा किला जीता।

5 ) छत्रपति शिवाजी महाराज का निधन कब और कहां हुआ था ?

उत्तर : स्वराज्य के संस्थापक श्री छत्रपती शिवाजी महाराज का निधन 3 अप्रैल 1680 में रायगड किले में हुआ

6 ) छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वरज्य की पहली राजधानी कंहा स्थापित की थी ?

उत्तर : छत्रपति शिवाजी महाराज ने राजगढ़ किले को स्वराज की पहली राजधानी घोषित किया था।

7 ) छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्यभिषेक कब हुआ था ?

उत्तर : 6 जून 1974 में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ, परंतु राज्याभिषेक के राज्याभिषेक के तुरंत बाद 17 जून, 1674 को माता जीजाबाई की मृत्यु हो जाने के बाद शिवाजी महाराज ने 24 सितंबर 1674 को निश्चलपूरी गोसावी के मार्गदर्शन में तांत्रिक पद्धति से राज्याभिषेक करवाया।

8 ) छत्रपति शिवाजी महाराज की माता जिजाबाई का निधन कब हुआ था ?

उत्तर : छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक होने के कुछ दिन पाश्चात 17 जून, 1674 को माता जीजाबाई की मृत्यु हुई थी।


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