Cyber Crime Portal | साइबर अपराध पोर्टल

Cyber Crime Portal | साइबर अपराध पोर्टल

Cyber Crime Portal | साइबर अपराध पोर्टल और भारत में साइबर अपराध से निपटने के लिए सरकारी प्रयास

साइबर अपराध आधुनिक युग की एक गंभीर चुनौती बन चुका है, जिसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, ‘पुलिस’ और ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। इसलिए, राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (LEA) के माध्यम से साइबर अपराधों की रोकथाम, जांच और अभियोजन की जिम्मेदारी निभाती हैं।

हालांकि, केंद्र सरकार भी राज्यों को उनकी पहल में सहायता करने के लिए वित्तीय मदद और तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करती है। इसी उद्देश्य से गृह मंत्रालय द्वारा विभिन्न योजनाओं और संरचनाओं की शुरुआत की गई है, जो देश में साइबर अपराध से निपटने के लिए एक व्यापक और समन्वित तंत्र स्थापित करती हैं।


Cyber Crime Portal | साइबर अपराध पोर्टल

1) भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)

भारत सरकार ने सभी प्रकार के साइबर अपराधों के समन्वित समाधान के लिए ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (I4C) की स्थापना की है। इसका मुख्य उद्देश्य साइबर अपराध की घटनाओं पर निगरानी रखना, उन्हें रोकने के लिए उचित रणनीति बनाना और विभिन्न राज्य एजेंसियों को आवश्यक तकनीकी व वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

2) राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल

सामान्य जनता के लिए साइबर अपराध की घटनाओं की रिपोर्टिंग को आसान बनाने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल ( https://cybercrime.gov.in ) शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से कोई भी व्यक्ति महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध सहित किसी भी साइबर अपराध की शिकायत दर्ज कर सकता है।

शिकायत दर्ज होने के बाद संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की कानून प्रवर्तन एजेंसी (LEA) उसे एफआईआर में बदलकर आगे की कार्रवाई करती है। वर्तमान में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह पोर्टल सक्रिय रूप से उपयोग किया जा रहा है।

3) नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली

वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में त्वरित कार्रवाई करने के लिए सरकार ने वर्ष 2021 में I4C के तहत ‘नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली’ शुरू की है।

इस प्रणाली के माध्यम से अब तक 13.36 लाख से अधिक शिकायतों में कार्रवाई की जा चुकी है।

लगभग 4,386 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की रकम को बचाया गया है।

नागरिकों को तत्काल सहायता देने के लिए टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ भी उपलब्ध कराया गया है।

4) राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच)

सरकार ने नई दिल्ली में ‘राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच)’ की स्थापना की है, जिसका उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को प्रारंभिक स्तर पर साइबर फोरेंसिक सहायता प्रदान करना है।

अब तक इस प्रयोगशाला ने लगभग 11,835 साइबर अपराध मामलों में सहायता प्रदान की है, जिससे जांच प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और तेज़ बनाया गया है।

5) ‘साइट्रेन’ पोर्टल: साइबर अपराध जांच में प्रशिक्षण

साइबर अपराधों की जांच, फोरेंसिक और अभियोजन से जुड़े अधिकारियों की दक्षता बढ़ाने के लिए I4C के तहत ‘साइट्रेन’ (CyTrain) नामक MOOC प्लेटफॉर्म विकसित किया गया है।

1,02,276 से अधिक पुलिस अधिकारियों ने इस पोर्टल पर पंजीकरण कराया है।

अब तक 79,904 से अधिक प्रमाण पत्र जारी किए जा चुके हैं।

6) महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम योजना (CCPWC)

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते साइबर अपराधों को रोकने के लिए ‘साइबर अपराध रोकथाम (CCPWC) योजना’ चलाई जा रही है।

इसके तहत केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, जूनियर साइबर सलाहकारों की भर्ती, कानून प्रवर्तन कर्मियों, सरकारी अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।

अब तक 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की जा चुकी हैं।

24,600 से अधिक कानून प्रवर्तन कर्मियों, न्यायिक अधिकारियों और अभियोजकों को प्रशिक्षण दिया गया है।

7) साइबर अपराध पर साप्ताहिक ऑनलाइन सहकर्मी-शिक्षण सत्र

उभरते साइबर खतरों से निपटने के लिए CAPFs के लिए सरकार हर शुक्रवार को ऑनलाइन सहकर्मी-शिक्षण सत्र आयोजित करती है।

इसमें साइबर अपराध के नए रुझानों, जांच तकनीकों और जवाबी उपायों पर चर्चा की जाती है।

अब तक 98 सत्र आयोजित किए जा चुके हैं।

8) आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम

सरकार ने 3,785 से अधिक कानून प्रवर्तन कर्मियों, न्यायिक अधिकारियों, लोक अभियोजकों और फोरेंसिक वैज्ञानिकों को साइबर अपराध जांच, डिजिटल साक्ष्य विश्लेषण और अभियोजन से संबंधित आवासीय प्रशिक्षण प्रदान किया है।

I4C, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल, वित्तीय साइबर धोखाधड़ी प्रबंधन प्रणाली, साइट्रेन पोर्टल और साइबर फोरेंसिक प्रयोगशालाएँ जैसी पहलों से साइबर अपराधों की रोकथाम और जांच प्रक्रिया अधिक प्रभावी हुई है।


भारत में साइबर अपराध से निपटने से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1: भारत में साइबर अपराध से निपटने की जिम्मेदारी किसकी होती है?

उत्तर: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, ‘पुलिस’ और ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ राज्य सरकारों के विषय हैं। इसलिए, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ (LEA) साइबर अपराधों की रोकथाम, जांच और अभियोजन के लिए जिम्मेदार होती हैं।

प्रश्न 2: केंद्र सरकार साइबर अपराधों के नियंत्रण में राज्यों की कैसे सहायता करती है?

उत्तर: केंद्र सरकार वित्तीय सहायता, तकनीकी मार्गदर्शन और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से राज्यों की मदद करती है। इसके लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की स्थापना की गई है, जो साइबर अपराधों से निपटने के लिए एक समन्वित और व्यापक तंत्र प्रदान करता है।

प्रश्न 3: राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल ( https://cybercrime.gov.in ) आम जनता को साइबर अपराधों की ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा प्रदान करता है। इसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान दिया गया है।

प्रश्न 4: ‘राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच)’ क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?

उत्तर: यह नई दिल्ली में स्थित एक उन्नत साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला है, जो राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को प्रारंभिक स्तर पर साइबर फोरेंसिक सहायता प्रदान करती है।


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