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ToggleThe Battle of Pavan Khind | पावनखिंड की लड़ाई और बाजी प्रभु देशपांडे का अमर बलिदान
पावनखिंड यह वो जगह है जहां स्वराज्य के रक्षक श्री बाजी प्रभु देशपांडे ने अपने कुछ गिने चुने सैनिकों के साथ मिलकर अपने प्राणों का बलीदान देकर भी आदिलशाही सेना को रोक के रखा था। उनका पराक्रम, त्याग और बलिदान इतिहास में स्वर्णीम अक्षरो से लिखा गया है। जो की स्वराज्य के प्रती उनके कर्तव्य और निष्ठा को दर्शाती है। बाजी प्रभु देशपांडे की विरता और बलिदान युगों-युगों तक प्रेरणा देता रहेगा।

सिद्दी जौहर की सवारी
अफजल खान की हत्या के बाद शिवाजी महाराज ने आदिलशाही के वसंतगढ़, पन्हाला और खेळणा किलों पर विजय प्राप्त की। उन्होंने खेळणा किले का नाम बदलकर ‘विशालगढ़’ रखा।
1660 ई. में आदिलशाह ने शिवाजी महाराज का बंदोबस्त करने के लिए कर्नुल प्रांत के सरदार सिद्दी जौहर को महाराज के विरुद्ध जाने को कहा, और आदिलशाह ने उसे ‘सलाबत खान’ की उपाधि प्रदान किया। उस समय शिवाजी महाराज ने पन्हाळा किले में शरण ली थी। आदिलशाही सेनापति सिद्दी जौहर ने पन्हाला किले को चारों ओर से घेर लिया। और लगभग पाँच महीनों तक यह घेरा चलता रहा। आदिलशाही सेना की संख्या मराठा सेना से कई गुना अधिक थी, इस लिए बल के दम पर यह घेरा नही तोडा जा सकता था।
शिवाजी महाराज को समझ आ गया था कि अगर उन्हें मराठा स्वराज्य को सुरक्षित रखना है, तो पन्हाला किले से किसी भी तरह निकलकर विशालगढ़ पहुँचना होगा।
शिवजी के सहयोगी नेतोजी पालकर ने सिद्दी की सेना पर बाहर से हमला करके घेराबंदी बढ़ाने की कोशिश की; परन्तु उनकी सेना छोटी होने के कारण यह प्रयास सफल नहीं हुआ।
शिवाजी महाराज की रणनीति और शिवा काशिद का बलिदान
शिवाजी महाराज को यह विश्वास हो गया था कि सिद्दी जौहर यह घेराबंदी उठाने वाला नही है, इसलिए उन्होंने सिद्दी जौहर से बात करना सुरू किया। इससे सिद्दी द्वारा पन्हाळगढ़ को दी गयी घेराबंदी में थोडी ढील मिल गयी। इस अवसर का लाभ उठाकर किले में स्थित एक वीर युवक शिवा काशिद ने पहल की। वह दिखने में शिवाजी महाराज जैसा ही था। वह शिवाजी महाराज की वेशभूषा धारण कर पालकी में सवार होकर राजदण्ड द्वार से बाहर आ गया। सिद्दी जौहर की सेना ने उस पालकी पर कब्ज़ा कर लिया, और इस अवसर पर शिवा काशिद ने स्वराज्य के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। इसी बीच शिवाजी महाराज रात्री के समय दूसरे रास्ते से किले से बाहर निकले और विशालगढ़ के लिए रवाना हो गए
शिवाजी महाराज की शौर्य गाथा और संघर्ष
पन्हाळा किले से पलायन
12 जुलाई 1660 को शिवाजी महाराज लगभग 600 सैनिकों के साथ सिद्दी जौहर के सैनिकों से बचकर कठीन रास्ते से पन्हाळा से विशालगढ़ जाने के लिए किले से बाहर आए, तब महाराज के साथ बाजी प्रभु देशपांडे और बांदल देशमुख सहित चुनिंदा सैनिक भी थे।
सिद्धी जौहर के सैनिकों को शिवाजी महाराज के किले से बाहर जाने का आभास होते हो, उन्होंने शिवाजी महाराज का पीछा करना शुरू किया।
बाजी प्रभु देशपांडे का बलिदान
शिवाजी महाराज जब पन्हाळा किले से बाहर निकले, तब सिद्धी जौहर के सिपाही उनका पीछा करने लगे। इस अवसर पर बाजी प्रभु देशपांडे ने शिवाजी महाराज को विशालगढ़ की ओर बढ़ने के लिए कहा और स्वयं मात्र 300 सैनिकों के साथ घोडखिंड (आज का पावनखिंड) में सिद्धी जौहर के सैनिकों को रोकने के लिए खड़े हो गए। यह स्थान दुस्मन की सेना को रोकने और युद्ध करने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण था।
आदिलशाही सेना लगभग 10,000 सैनिकों की विशाल शक्ति के साथ आक्रमण कर रही थी। दूसरी तरफ मराठा सैनिकों के पास स्वराज्य के प्रती निठा और जोश के व्यतिक्त सीमित संसाधन थे, इसके बावजूद बाजी प्रभु देशपांडे और उनके सैनिकों ने आदिलशाही सेना को तब तक रोक के रखा जब तक शिवाजी महाराज सुरक्षित विशालगढ़ पर पहुँचने का संकेत नहीं मिला।
जैसे ही तोप से संकेत मिला कि महाराज विशालगढ़ पर पहुँच गये हैं, बाजी प्रभु ने चैन की साँस ली, और अपने लहु लोहान शरीर को त्याग दिया। अंततः, इस महायुद्ध में उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।
बाजी प्रभु देशपांडे के अद्वितीय पराक्रम और बलिदान के सम्मान में घोडखिंड का नाम बदलकर पावनखिंड कर दिया गया।
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महत्वपूर्ण प्रश्न
1 ) छत्रपती शिवाजी महाराज को बचाने के लिए पावनखिंड पर सिद्धी जौहर के सैनिकों से किसने युद्ध किया ?
उत्तर : शिवाजी महाराज को सुरक्षित विशालगढ़ पहुंचने के लिए बाजी प्रभु देशपांडे ने मात्र 300 सैनिकों के साथ मिलकर सिद्धी जौहर के सैनिकों से युद्ध किया और उन्हें वहीं पर रोक के रखा।
2 ) छत्रपती शिवाजी महाराज जब पन्हाळा किले में आश्रय ले रहे थे, तब पन्हाळा किले को किसने घेराबंदी किया था ?
उत्तर : शिवाजी महाराज जब पन्हाळा किले में आश्रय ले रहे थे, तब 1660 ई. में आदिलशाह ने शिवाजी महाराज का बंदोबस्त करने के लिए कर्नुल प्रांत के सरदार सिद्दी जौहर को भेजा, उसने पन्हाळा किले को घेराबंदी कर दिया।
3 ) छत्रपती शिवाजी महाराज ने जब पन्हाळा किले से पलायन किया तब उनके जगह किसने अपने प्राणों का बलिदान दिया ?
उत्तर : छत्रपती शिवाजी महाराज ने जब पन्हाळा किले से पलायन कर रहे थे, तब शिवा काशिद जो की कद-काठी में शिवाजी महाराज जैसा ही दिख रहा था, उसने शिवाजी महाराज की वेशभूषा धारण कर सीधी जौहर के सैनिकों को गुमराह किया और स्वराज्य के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।
4 ) छत्रपति शिवाजी महाराज ने किस किले का नाम बदलकर विशालगढ़ रखा ?
उत्तर : छत्रपति शिवाजी महाराज ने खेळना किला जीतने के बाद उसका नाम बदलकर विशालगढ़ कर दिया।
5 ) छत्रपति शिवाजी महाराज ने किस जगह का नाम बदलकर पावनखिंड कर दिया ?
उत्तर : बाजी प्रभु देशपांडे के अद्वितीय पराक्रम और बलिदान के सम्मान में घोडखिंड का नाम बदलकर पावनखिंड कर दिया गया।
छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती 2025
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