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ToggleWorld Wetlands Day 2025 | विश्व आद्रभूमि दिवस 2025
विश्व आर्द्रभूमि दिवस हर साल 2 फरवरी को मनाया जाता है, विश्व में आद्रभूमि कि सुरक्षा करने और उससे संबंधित जागरूकता फैलाने के लिए आर्द्रभूमि सम्मेलन के सचिवालय द्वारा यह दिन आयोजित किया जाता है।
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विश्व आद्रभूमि दिवस की शुरुआत
2 फरवरी 1971 को ईरान के रामसर में आर्द्रभूमि पर कन्वेंशन (रामसर कन्वेंशन) को अपनाए जाने की याद में आर्द्रभूमि सम्मेलन के अनुबंधकारी पक्ष द्वारा वर्ष 1997 से हर साल 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है । अनुबंध करने वाले पक्ष रामसर कन्वेंशन और वेटलैंड संरक्षण से संबंधित आकलन करने और तकनीकी मुद्दों पर अपना अनुभव साझा करने और योजनाएं बनाने के लिए हर 3 साल में मिलते हैं।
आर्द्रभूमि (Wetlands) के बारे में
दुनिया की कुल भूमि की सतह का केवल 6% हिस्सा आद्रभूमि के अंतर्गत आता है, परंतु इस भूमि पर सभी प्रकार के पौधों और जानवरों की कुल 40% प्रजातियां निवास करती है या प्रजनन करती है।
आर्द्रभूमि पर जैविक विविधता काफी मात्रा में होने की वजह से, इस जगह पौधों और जनावरों की अनगिनत प्रजातियां जीवित रहने के लिए निर्भर रहती है।
ये जगह मानव प्रजाति के लिए अनगिनत लाभों या “पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं” के लिए अपरिहार्य हैं।
आद्रभूमि दुनिया के सबसे विविध उत्पादक वातावरणों में से हैं इस जमीन पर भोजन और निर्माण सामग्री, मीठे पानी की आपूर्ति, और जैव विविधता से लेकर बाढ़ नियंत्रण, भूजल पुनर्भरण और जलवायु परिवर्तन शमन तक शामिल हैं।
वर्तमान में आधार भूमिका अस्तित्व बहुत ही संकट में है, विश्व धरोहर और रामसर सम्मेलनों के अनुसार, पिछली सदी की शुरुआत से दुनिया की 64% आर्द्रभूमि नष्ट हो गई है। दुनिया भर के कई क्षेत्रों में आद्रभूमि के अस्तित्व में गिरावट आई है । ग्लोबल वेटलैंड आउटलुक की रिपोर्ट के अनुसार प्राकृतिक वनों के तुलना में तीन गुना तेजी से आद्रभूमि का अस्तित्व कम हो रहा है, इसलिए मनुष्यों के लिए आद्रभूमि की सुरक्षा एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है ।
विश्व आद्रभूमि दिवस 2025 की थीम
2025 में विश्व आर्द्रभूमि दिवस “हमारे साझा भविष्य के लिए आर्द्रभूमियों का संरक्षण” (“Protecting Wetlands for Our Common Future”) विषय पर आधारित है।
इस विषय का उद्देश्य भावी पीढ़ी को भविष्य में आर्द्रभूमि का लाभ मिल सके इस लिए लोगों के कल्याण के लिए और प्राकृतिक आवासों की रक्षा करने के लिए रेखांकित करना है।
विश्व आर्द्रभूमि दिवस, 2025 में क्यों है जरूरी ?
विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2025 में बहुत ही महत्वपूर्ण है, प्रत्येक अनुबंधकारी पक्ष की सरकारों के प्रतिनिधि आर्द्रभूमि के संरक्षण और सतत उपयोग पर महत्वपूर्ण चर्चा करने और अगले तीन वर्षों के लिए कार्यक्रम पर सहमत होने के लिए, इस वर्ष आर्द्रभूमि कन्वेंशन के लिए अनुबंधकरी पक्षों के सम्मेलन (COP30) की 30वीं बैठक की जाएगी।
आर्द्रभूमि के प्रकार
ऐसे भूमि क्षेत्र जो स्थायी रूप से या मौसम के प्रभाव से जल से संतृप्त या जलमग्न हो जाते हैं, वह तीन प्रकार के होते हैं।
1 ) अंतर्देशीय आर्द्रभूमि:
नदियाँ, बाढ़ के मैदान, दलदल, झीलें, पीटलैंड और दलदल आदी.
2 ) तटीय आर्द्रभूमि :
मुहाना, मैंग्रोव, खारे पानी के दलदल, लैगून और प्रवाल भित्तियाँ आदी.
3 ) मानव निर्मित आर्द्रभूमि:
मछली तालाब, चावल के खेत और नमक के तालाब आदी.
रामसर कन्वेंशन में भारत कि भुमीका
1 फरवरी 1982 को भारत रामसर कन्वेंशन का पूर्ण सदस्य बना। भारत में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय रामसर कन्वेंशन संबंधित योजनाएं बनाता है।
भारत में कुल 19 प्रकार की आर्द्रभूमियां है, जिनमे गुजरात में सबसे अधिक क्षेत्रफल है, उसके बाद आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल क्रमानुसार है।
भारत में कुल 85 आर्द्रभूमियां घोषित कि गई है, जिसका कुल क्षेत्रफल 13 लाख 58 हजार 68 हेक्टर है।
विश्व आर्द्रभूमि दिवस संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
1 ) विश्व आर्द्रभूमि दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर : आद्रभूमि कि सुरक्षा करने और उससे संबंधित जागरूकता फैलाने के लिए, हर साल 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है।
2 ) रामसर कन्वेंशन में भारत ने किस वर्ष हस्ताक्षर किए थे ?
उत्तर : 1 फरवरी 1982 को भारत रामसर कन्वेंशन का पूर्ण सदस्य बना।
3 ) रामसर कन्वेंशन किस वर्ष और कहां पर स्थापित किया गया था ?
उत्तर : 2 फरवरी 1971 को ईरान के रामसर में आर्द्रभूमि पर कन्वेंशन (रामसर कन्वेंशन) को अपनाया गया था।
4 ) विश्व आर्द्रभूमि दिवस कि शुरुआत कब की गई ?
उत्तर : रामसर कन्वेंशन और वेटलैंड संरक्षण से संबंधित आकलन करने और तकनीकी मुद्दों पर अपना अनुभव साझा करने और योजनाएं बनाने के लिए, वर्ष 1997 से हर साल 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है ।
5 ) वर्तमान में भारत में कुल कितनी रामसर साइट है ?
उत्तर : भारत में कुल 85 आर्द्रभूमियां घोषित कि गई है, जिसका कुल क्षेत्रफल 13 लाख 58 हजार 68 हेक्टर है।
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