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ToggleThe Battle of Pratapgarh | छत्रपति शिवाजी महाराज और अफजल खान का युद्ध: शिवाजी महाराज की ऐतिहासिक विजय
संघर्ष की पृष्ठभूमि
स्वराज्य के संस्थापक श्री छत्रपति शिवाजी महाराज और अफजल खान जैसे बड़े आदिलशाही सरदार का युद्ध भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण रननितिक संघर्ष था, जिसने मराठा साम्राज्य के विस्तार को एक दिशा दी। इस युद्ध में छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपने रणनीति, साहस और वीरता का परिचय देते हुए 10 नवंबर 1659 को प्रतापगढ़ किले के निकट अफजल खान और उसकी शक्तिशाली सेना को पराजित किया। और अपना अधिपत्य स्थापित किया।
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मराठा साम्राज्य और आदिलशाही संघर्ष
17वीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज्य की स्थापना की, जो की उनके पिता श्री शहाजी राजे भोषले का सपना था। परंतु स्वराज्य के तेजी से बढ़ रहे विस्तार से बीजापुर की आदिलशाही सल्तनत चिंता होने लगी । शिवाजी महाराज स्वराज्य का विस्तार करणे के लिए तेजी से एक पर एक प्रदेश जितते गए। 1656 में जब शिवाजी महाराज ने जावली पर विजय हासिल किया और रायगढ़ किले को अपने कब्जे में लिया, तब आदिलशाही को लगा कि शिवाजी महाराज पर रोक लागाना अति आवश्यक है।
आदिलशाही द्वारा अफजल खान की नियुक्ति
शिवाजी महाराज आदिलशाही प्रदेश के सभी किले जितने की सुरुआत की, उस समय आदिलशाही का नियंत्रण बड़ी साहेबिन के अंतर्गत था। तब उन्होंने शिवाजी महाराज पर निमंत्रण करणे और उन्हे घुटनो पर लाने के लिए बड़ी साहेबिन ने अफजल खान की नियुक्ती की, अफजल खान को अपनी शारीरिक शक्ति और रणनिती अत्याधिक गर्व था। और अफजल खान बिजापूर से वाई आया।
अफजल खान की कूटनीति पर शिवाजी महाराज की रणनीति
शिवाजी महाराज का सफाया करने हेतु अफजल खान बिजापूर से वाई आया है, जब यह बात शिवाजी महाराज को पता चलीं, तब शिवाजी महाराज ने अफजल खान से खुले मैदान में लड़ने के बजाय दूरदराज के इलाकों में लड़ने का फैसला किया। तब दोनो पक्षो में 10 नवंबर 1659 को प्रतापगढ़ किले के तलहटी में मिलने का तय किया गया। अफजल खान ने मिलने के बहाने शिवाजी महाराज को विश्वासघात से मारने का इरादा बनाया था।
शिवाजी महाराज की तैयारी
शिवाजी महाराज एक दुरदर्शी नेता थे, इसलिए उन्हे अफजल खान की विश्वासघाती प्रवृत्ति का पहले से ही आभास था। उन्होंने खुद को सुरक्षित रखने के लिए एक लोहे का विशेष कवच और वाघनख (बाघ के नाखून के आकार का हथियार, जिसे हथ की उंगलियों मे पहना जाता है) तथा एक छोटा खंजर छिपाकर रखा। और अफजल खान से मिलने पहुंचे ।
प्रतापगढ़ की निर्णायक भेंट और अफजल खान का वध
वाई के पास प्रतापगड किले के तलहटी में 10 नवंबर 1659 को शिवाजी महाराज और अफजल खान की मुलाकात हुई।
गले मिलने के बहाने से अफजल खान ने शिवाजी महाराज पर अपनी कटार निकालकर महाराज पर हमला किया परंतु लोहे का कवच पहने होने की वजह से शिवाजी महाराज को कुछ नहीं हुआ।
अफजल खान के धोखे का भाष होते ही शिवाजी महाराज ने तुरंत अपने वाघनख से अफजल खान पर जोरदार वार किया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। जैसेही घायल अफजल खान ने भागने की कोशिश की, शिवाजी के सैनिकों ने उसको मार गिराया।
शिवाजी महाराज की युद्ध नीति और मराठाओं का विजय
अफजल खान की मृत्यु के बाद, उसकी विशाल सेना ने मराठा सेना पर आक्रमण किया, लेकिन शिवाजी महाराज ने गुरिल्ला युद्ध रणनीति अपनाई।
मराठा सेना ने दुश्मन पर अचानक हमले किए और उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया।
शिवाजी महाराज की सेना ने अफजल खान की सेना को पूरी तरह परास्त कर दिया और उनकी संपत्ति, हथियारों के साथ पन्हाळगड जैसा किला अपने अधिकार में कर लिया।
अफजल खान की हत्या के बाद शिवाजी महाराज ने युद्ध में घायल सैनिकों को मुआवजा दिया। इस युद्ध में अच्छा प्रदर्शन करने वाले सैनिकों को पुरस्कार दिये गये।
यह युद्ध मराठा इतिहास के स्वर्णिम अध्यायों में से एक है, जिसने भारत में स्वतंत्रता संग्राम की नींव को और मजबूत किया।
जय भवानी, जय शिवाजी
महत्वपूर्ण प्रश्न
1 ) छत्रपति शिवाजी महाराज और अफजल खान की भेंट कब और कहां हुई ?
उत्तर : वाई के पास प्रतापगड किले के तलहटी में 10 नवंबर 1659 को छत्रपती शिवाजी महाराज और अफजल खान की मुलाकात हुई।
2 ) छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजल खान का वध कब और कैसे किया ?
उत्तर : वाई के पास प्रतापगड किले के तलहटी में 10 नवंबर 1659 को छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपने साथ छिपा कर लाए वाघनख से अफजल खान का वध किया।
3 ) छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजल खान से मिलते समय कौन सी सावधानी रखी ?
उत्तर : छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजल खान की कूटनीति को जान लिया था, इसलिए उन्होंने स्वयं के रक्षा के लिए एक लोहे का कवच, वाघनख और एक छोटा खंजर अपने पास छुपा कर रखा था।
4 ) अफजल खान को हराने के बाद शिवाजी महाराज ने किस किले को अपने अधिकार में लिया ?
उत्तर : शिवाजी महाराज ने अफजल खान का वध करने के बाद उसकी संपत्ति, हथियार और पन्हाळगड जैसा किला अपने अधिकार में कर लिया।
5 ) शिवाजी महाराज ने युद्ध जीतने के बाद दुश्मन सैनिकों के साथ कैसा व्यवहार किया ?
उत्तर : युद्ध जीतने के बाद शिवाजी महाराज ने अफ़ज़ल खान की सेना के सैनिकों और अधिकारियों के साथ अच्छा व्यवहार किया।
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